टाइगर रिजर्व घूमकर प्रवासी गिद्ध माउंट एवरेस्ट के पार पहुंचे, यह राज्य है इनकी पहली पसंद
पन्ना। टाइगर रिजर्व रिजर्व (Panna TigerReserve) में प्रवास पर आए गिद्ध अब अपने वतन को लौटने लगे हैं। कुछ गिद्ध एक हजार किमी का सफर तय कर माउंट एवरेस्ट (mount everest) के दूसरी ओर चीन और उसके आसपास हैं तो कुछ नोपाल पहुंच चुके हैं। वहीं यूरेशियन गिद्ध अब पन्ना का पर्यटन पूरा का लौट रहे हैं।
गिद्धों के रहवास और आवागमन की यह रोचक जानकारी लगी है, उर्जा चलित जीपीएस डिवाइस से। दरअसल, हिमालय और यूरे शियन गिद्धों के प्रवास मार्ग और आवास के संबंध में वैज्ञानिक तरीके से तथ्यों को जुटाने के लिए देश में पहली बार पन्ना में 25 गिद्धों को जीपीएस आधारित रेडियो टैगिंग डिवाइस लगाई गई थी। इसकी मॉनीटरिंग में सामने आया कि हिमालयन गिद्धों ने फरवरी में ही अपना प्रवास पूरा कर लिया था।
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पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि फरवरी में पन्ना नेशनल पार्क और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) देहरादून के सहयोग से 25 गिद्धों में सौर ऊर्जा चलित जीपीएस आधारित रेडियो ट्रैगिंग डिवाइस लगाई गई थी। इनमें 13 इंडियन वल्चर, 2 रेड हेडेड वल्चर, 8 हिमालयन ग्रिफिन एवं 2 यूरेशियन ग्रिफिन वल्चर हैं। गिद्धों को टैग करने का मुख्य उद्देश्य उनके आवागमन मार्ग एवं रहवास के बारे में वैज्ञानिक तरीके से जानकारी एकत्रित करना था। इनका नतीजा भी निकला।
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गर्मी शुरू होने के पहले ही छोड़ दिया पन्ना
फील्ड डायरेक्टर शर्मा की मानें तो प्रबंधन को 4 हिमालयन ग्रिफिन गिद्धों के संबंध में रोचक जानकारी मिली। एचजी 8673, एचजी8677, एचजी 8654 और एचजी 6987 ने फरवरी में ही अपना प्रवास पूरा कर लिया था। गर्मी शुरू होने के पहले ये पन्ना लैंडस्केप के जंगलों को छोडक़र वापस लौट गए। इनमें से एक गिद्ध इन दिनों हिमालय पर्वत स्थित माउंट एवरेस्ट के दूसरी ओर चीन के तिब्बती क्षेत्र में है तो दूसरा चीन के तिब्बत क्षेत्र के पास उइगर में है। एक काराकोरम रेंज नेपाल पहुंच चुका है।
अब लौट रहे यूरेशियन गिद्ध
अभी तक माना जाता था कि प्रवासी गिद्ध ठंड का मौसम शुरू होने पर आते हैं और ठंड के विदा होते ही लौटने लगते हैं। जीपीएस डिवाइस से यह सामने आया कि जिन दो यूरे शियन गिद्धों को डिवाइस लगाई गई थी वे भीषण गर्मी का दौर शुरू होने के बाद भी अपने झुंड के साथ पन्ना लैंडस्केप के जंगलों में घूम रहे थे। हाल में ही इन गिद्धों ने अपना प्रवास पूरा किया और अब यूरोप के देशों की ओर लौट रहे हैं।
Source: Education