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जमाखोरी और भाव बढऩे की उम्मीद बढ़ा रही हमारे आटे-तेल का भाव

नितिन भाल

धौलपुर. जमाखोरी और भाव बढऩे की उम्मीद आम लोगों की थाली पर भारी पड़ रही है। हालात यह हैं कि रेकॉर्ड उत्पादन के बावजूद मंडी में गेहूं और सरसों की आवक नहीं के बराबर है। सिर्फ जरूरतमंद किसान ही सरसों और गेहूं बेचने आ रहे हैं। जिसके पास थोड़ी-बहुत भी क्षमता है वह, फिलहाल अपनी फसल बेचने से परहेज कर रहा है। जिले में रबी की मुख्य फसल सरसों है। जिलेभर में करीब 80 हजार हेक्टेयर में सरसों की बुवाई होने के बावजूद मंडी में इसकी आवक आठ से दस ट्रॉली प्रतिदिन ही है। पिछले सीजन में सरसों के भाव 8000 रुपए प्रति क्विंटल से भी ऊपर पहुंच गए थे। किसानों को उम्मीद है कि इस बार भी भाव ऊपर जाएंगे। ऐसे में फिलहाल वे फसलों का बेचान नहीं कर रहे हैं। गेहूं भी अब 2500 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गया है। कम आपूर्ति होने का असर मध्यम और गरीब वर्ग के लोगों को सता रहा है। उनके लिए आटे और तेल का भाव दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है।
सरसों फिलहाल 6800 तक

मंडी में सरसों का भाव फिलहाल 6800 रुपए प्रति क्विंटल तक चल रहा है। मंडी में इन दिनों सिर्फ आठ से दस ट्रॉली यानि की 400 से 500 बोरी सरसों की ही आवक है। यह हाल तब हैं जब जिले में लगभग हर किसान ने सरसों की बुवाई की है।

नाकाम गेहूं की सरकारी खरीद

गेहूं की एमएसपी 2015 रुपए प्रति क्विंटल तय की गई है लेकिन, हालात यह हैं कि बाजार में गेहूं इससे अधिक दामों पर बिक रहा है। ऐसे में सरकारी खरीद नाकाम साबित हो रही है। मंडी में फिलहाल गेहूं 2200 से 2500 रुपए क्विंटल बिक रहा है। किसी किसी दिन तो यह भाव बढक़र 3000 रुपए तक भी पहुंच रहे हैं।

भूसा भी ऊंचाइयों पर

गेहूं के साथ इसका भूसा भी लगातार ऊंचाइयां छू रहा है। गेहूं की कम बुवाई और कम उत्पादन के कारण पहले ही इसकी मांग ज्यादा है। पशुओं के लिए चारे के रूप में काम आने वाला भूसा भी 600 से 700 रुपए प्रति मन (40 किलोग्राम) तक बिक रहा है। भूसे के भाव बढऩे के कारण पशुपालकों ने दूध के दाम भी बढ़ा दिए हैं।

व्यापारी धड़ाधड़ कर रहे खरीद

बड़े एक्सपोर्टर की तरफ से डिमांड आने के कारण छोटे व्यापारी भी धड़ाधड़ गेहूं की खरीद करके उसका भंडारण कर रहे हैं। बाजार में अचानक गेहूं के दाम बढऩे का कारण यह भी माना जा रहा है। व्यापारी किसानों से खेतों पर जाकर सीधे भी गेहूं की खरीद कर रहे हैं। वहीं, मंडी में आने वाले किसानों को बाहर ही रोक कर खरीद की जा रही है।

खुले बाजार में जमकर खरीद

भारत में खाद्य तेल की कीमतों में और इजाफा होने का संकेतों को देखते हुए खुले बाजार में जबरदस्त तरीके से सरसों की खरीद हो रही है। व्यापारी किसानों को सरसों का सात हजार रुपए प्रति क्विंटल तक का औसत भाव दे रहे हैं। ऐसे मे मंडी में खरीद गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। बता दें, भारत खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक है। भारत अपनी जरूरत का 50-60 फीसदी खाद्य तेल आयात करता है।

अन्तरराष्ट्रीय कारण भी जिम्मेदार

युद्ध के चलते यूक्रेन से आने वाला सनफ्लावर भारत नहीं पहुंच रहा है। इसी के साथ इंडोनेशिया से पाम आयल का निर्यात भी बंद है। मलेशिया ने भी भारत को पाम ऑयल देने से इनकार कर दिया है। दाम बढऩे की उम्मीद में सरसों को आवक भी कम हो रही है, नतीजतन सरसों के तेल के भाव सीजन में 165 से 170 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गया है।

इनका कहना है

मंडी में गेहूं-सरसों की आवक बेहद कम है। किसान भाव बढऩे का इंतजार कर रहे हैं। मंडी के बाहर भी व्यापारी और स्टॉकिस्ट खरीद कर रहे हैं। मंडी के बाहर की बात पर हम कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं।

– कैलाश मीना, कार्यवाहक मंडी सचिव, धौलपुर



Source: Education

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