लहारपुर डैम में रोजाना पांच ट्रक मलबा भरा जा रहा, कौन कर रहा, जिम्मेदारों को पता ही नहीं
भोपाल. लहारपुर डैम में दस हजार वर्गफीट भूखंड बनाने के लिए रोजाना पांच ट्रक मुरम-मलबा भरा जा रहा है। यहां फिलिंग को लेकर पीएचई से लेकर जलसंसाधन विभाग, नगर निगम, जिला प्रशासन से चर्चा की तो उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं है। पत्रिका में खबर प्रकाशित होने के बाद नगर निगम के अपर आयुक्त पवनकुमार सिंह ने एएचओ दिनेश पाल को यहां जांच के लिए भेजा, जबकि जिला प्रशासन की ओर से पटवारी मुकुल साठे मौके पर पहुंचे थे। पटवारी ने यहां मिट्टी और मुरम की फिलिंग को तो पाया, लेकिन ये कौन कर रहा है, वे पता नहीं कर पाए। नगर निगम अपर आयुक्त पवनकुमार सिंह का कहना है कि ये कौन कर रहा है, इसे दिखवाया जा रहा है। जल संसाधन विभाग के संजय रघुवंशी को भी डैम की जमीन को मिट्टी मलबे से भरने की जानकारी नहीं है।
मंदाकिनी से लेकर सलैया तक कलियासोत में भी फिलिंग
– जलस्त्रोतों के किनारों पर मलबा- मिट्टी भरकर प्लॉट निकालने का खेल नया नहीं है। कोलार के मंदाकिनी की ओर से जेके हॉस्पिटल सड़क किनारे कलियासोत के किनारों में मलबा भरा गया था। मामले में जागरूक लोगों ने विरोध किया तो रातों-रात यहां धार्मिक स्थल बना दिया गया। अब ये बना हुआ है और कुछ समय के बाद यहां कब्जे का रूपरेखा बन रही है। इसी तरह सलैया में आकृति के अंदर से कलियासोत नदी किनारे प्लॉट पर निर्माण शुरू किया और नदी के बिल्कुल किनारे पर सीमेंट काॅन्क्रीट रोड तैयार कर दी। कौन कर रहा है, इसल मालिक अब तक सामने नहीं है। इसी तरह चूनाभट्टी में शाहपुरा की ओर लो-लाइन क्षेत्र में एक कार शो रूम के सामने करीब 10 हजार वर्गफीट का प्लॉट मलबे से ही तैयार कर लिया गया। यहां किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई।
निगम और प्रशासन की नाकामी है ये
– जलस्रोत या सरकारी जमीन के गडढ्े में मलबा- मिट्टी भरने जैसी स्थितियों पर नजर रखने के लिए नगर निगम से लेकर जिला प्रशासन तक पूरा सिस्टम है। नगर निगम में जोन स्तर पर एएचओ, इंजीनियर तय है, जबकि जिला प्रशासन में पटवारी, आरआई और अन्य स्तर के कर्मचारी- अधिकारी हैं। मोटा वेतन और सुविधाएं दी जाती है, ताकि ये अपने क्षेत्र में इस तरह की स्थिति न बनने दें, लेकिन ये मिलीभगत से अवैध निर्माण या फिलिंग को होने दे रहे हैं।
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