बड़ा मंगल 2022: ज्येष्ठ का चौथा बड़ा मंगल 7 जून को, जानें बजरंगबली और उनके पुत्र मकरध्वज की पहली मुलाकात की क्या है कहानी
ज्येष्ठ मास के सभी मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है। ज्येष्ठ मास का चतुर्थ बड़ा मंगल 7 जून को पड़ रहा है। इस दिन हनुमान जी की सच्चे मन और विधि विधान से की गई पूजा बहुत फलदायी मानी जाती है। यूं तो हनुमान जी के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। उन्हीं में से एक मंदिर द्वारका से 4 मील की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में हनुमान जी के साथ उनके पुत्र मकरध्वज की मूर्ति भी विराजमान है। इस मंदिर को बेटद्वारका हनुमान दंडी मंदिर या दांडी हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इसी जगह बजरंगबली पहली बार अपने पुत्र मकरध्वज से मिले थे। तो आइए जानते हैं की आखिर कैसे हुई हनुमान जी की उनके पुत्र मकरध्वज से पहली मुलाकात…
कैसे हुई हनुमान जी की अपने पुत्र मकरध्वज से मुलाकात?
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, रावण द्वारा अपहृत सीता माता की तलाश में जब बजरंगबली लंका पहुंचे तो वहां मेघनाद उन्हें पकड़कर रावण के समक्ष ले गया। तब लंकापति रावण ने हनुमान जी की पूंछ में आग लगा दी तो हनुमान जी ने उसी पूंछ की आग से पूरी लंका को जला दिया। अपनी जलती हुई पूंछ की वेदना को दूर करने के लिए हनुमान जी समुद्र के पास गए।
तब हनुमान जी के पसीने की एक बूंद समुद्र के पानी में टपक गई जिसे एक मछली ने पी लिया। इस पसीने की बूंद को पीकर वह गर्भवती हो गई। तब उस मछली द्वारा एक मकरध्वज नामक पुत्र को जन्म दिया गया। मकरध्वज भी हनुमान जी की भांति ही बलशाली और तेजस्वी था। इसके बाद पाताल लोक के राजा अहिरावण द्वारा मकरध्वज को पाताल का पहरेदार नियुक्त किया गया। फिर युद्ध के दौरान रावण के कहने पर अहिरावण ने छल से राम जी और उनके भाई लक्ष्मण का अपहरण कर लिया और वह उन्हें पाताल लोक के आया।
इसके बाद अपने प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण जी को छुड़ाने हनुमान जी पाताल पहुंचे। तब उनकी पहली बार भेंट वहां के द्वारपाल यानी अपने पुत्र मकरध्वज से हुई। उस समय उन दोनों में आपस में भयंकर युद्ध हुआ। अंततः बजरंगबली ने मकरध्वज को हराकर उसकी पूंछ से ही उसे बांध दिया।
फिर मकरध्वज ने अपने पैदा होने का पूरा वृतांत हनुमान जी को सुनाया। तत्पश्चात अहिरावण को मारकर पवनसुत हनुमान जी ने राम जी और लक्ष्मण जी को छुड़ाया। साथ ही श्रीराम ने तब मकरध्वज को पाताल का शासक नियुक्त करते हुए उसे धर्म के रास्ते पर चलने की प्रेरणा दी। उसी की याद में दांडी हनुमान मंदिर में हनुमान जी के साथ उनके पुत्र मकरध्वज की मूर्ति को स्थापित किया गया है।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)
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Source: Religion and Spirituality