प्रशासनिक सेवा बहुआयामी जॉब, पिता का संघर्ष देख मिलती है हिम्मत: भारद्वाज
नितिन भाल
धौलपुर. प्रशासनिक सेवा एक बहुआयामी जॉब है। यह आम नौ से छह बजे वाली नौकरी से थोड़ा अलग है। आपको फील्ड में भी जाना होता है और पब्लिक डीलिंग भी रहती है। ऐसे में नौकरी और घर के बीच समन्वय बनाना थोड़ा चुनौतीभरा है। लेकिन, महिला होने के कारण इन सब को मैनेज करने में ज्यादा परेशानी नहीं होती। यह कहना है धौलपुर उपखंड अधिकारी के पद पर कार्यरत भारती भारद्वाज का। भारद्वाज ने बताया कि उनके पिता महावीर प्रसाद भी 79 बैच के आरएएस थे। ऐसे में हमेशा से प्रशासनिक सेवा में जाने का ख्याल मन में रहा। थर्ड ग्रेड अध्यापक की नौकरी से शुरू हुए इस सफर में खूब मुश्किलें भी आईं लेकिन, हिम्मत नहीं हारी। वर्ष 2020 में आरएएस बनने का सपना पूरा हुआ। अब लोगों की भलाई के लिए जितना हो सके उतनी मेहनत और लगन से जुटे रहते हैं।
पिता की तरह ही रहा सफर
भारद्वाज के पिता का सफर भी स्कूल अध्यापक से शुरू हुआ था। ऐसे में भारती भारद्वाज ने पिता के नक्शेकदम पर चल अध्यापक की नौकरी से ही करियर शुरू किया। इसके बाद 2008 में नगर पालिका अधिशासी अधिकारी पद पर चयन हुआ। आरएएस 2007 के बैच में आरटीएस मिला। जॉइनिंग 2010 में मिली। 2013 में नायब तहसीलदार से तहसीलदार पद पर प्रमोशन हुआ। वर्ष 2020 में राजस्थान प्रशासनिक सेवा में तदर्थ प्रमोशन मिला। आरएएस बैच 2021 का मिला।
सरकारी स्कूल से ही ली शिक्षा
भारद्वाज ने बताया कि उनकी स्कूलिंग अधिकतर सरकारी स्कूलों में ही हुई। दसवीं उन्होंने धौलपुर से ही की। 11वी व 12वीं कोटा से की। भारद्वाज ने कहा कि मन में अगर कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो कोई भी चुनौती आसानी से हल की जा सकती है। फिर आप कहां और कैसे पढ़े हैं यह मायने नहीं रखता।
जॉब चेलैंजिग पर सबसे बेहतर महिलाओं का मैनेजमेंट
भारद्वाज ने कहा कि प्रशासनिक सेवा का जॉब चुनौतियों भरा है। रोज एक नई चुनौती सामने होती है। महिलाएं मल्टीटास्किंग में बेहतर प्रदर्शन करती हैं। महिला होने का फायदा यह मिलता है कि बेहतरीन मैनेजमेंट से उन चुनौतियों पर पार पा ली जाती है।
Source: Education