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Baby Care Tips: जरूरी है हर उम्र में शिशु की देखभाल, जानें ये खास टिप्स

Baby Care Tips: भारत में हर एक हजार नवजात शिशुओं में से करीब 70 बच्चों की मृत्यु किसी न किसी कारण से जन्म के पहले वर्ष में हो जाती है। इसमें किसी प्रकार का इंफेक्शन, ऑक्सीजन की कमी, समयपूर्व प्रसव, जन्मजात विकृतियां व प्रसव के समय जटिलता प्रमुख हैं। ऐसे में विशेषज्ञों की मानें तो जन्म से लेकर पहले चार हफ्तों का समय जिसे नियोनेटल पीरियड कहते हैं, शिशु की देखभाल के लिए अहम होता है। आइये जानते हैं शिशु की देखभाल से जुड़ी कुछ खास बातें।

जन्म के बाद ये ध्यान रखें –
शिशु को गोद में उठाते या हाथ लगाने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह धो लें ताकि संक्रमण का खतरा न रहे। गोद में लेते समय सावधानी बरतें। इस दौरान शिशु की गर्दन व सिर पर हाथ जरूर लगाएं वर्ना चोट लग सकती है। जन्म के बाद एक घंटे में ही शिशु को ब्रेस्टफीड कराएं। छह माह तक केवल मां का दूध ही शिशु को पिलाएं। इसके बाद डॉक्टरी सलाह से ही दूसरी चीजें देना शुरू करें।

तीन चरणों में मां-शिशु की केयर
एंटीनेटल केयर –
फर्स्ट फेज़ – गर्भावस्था के दौरान महिला की केयर
शिशु की सेहत के लिए सबसे अहम है महिला की जरूरी जांचें, टीकाकरण, खानपान आदि पर ध्यान दिया जाए। ऐसे में महिला को टिटनेस का वैक्सीन लगाने के अलावा खून की कमी होने पर दवाओं व खानपान से पूर्ति करते हैं। अनियमित ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जाता है। संक्रमण से बचाव करते हैं। जटिलताओं की पहले से पहचान कर निवारण के तरीके ढूंढना आदि शामिल है।

इंट्रा-पार्टम केयर-
सेकंड फेज़ – प्रसव के दौरान महिला की देखभाल
साफ-सुथरे और सुरक्षित प्रसव के लिए अच्छे और सभी सुविधा से युक्त अस्पताल में भर्ती कराना। इसके अलावा डिलीवरी के समय व तुरंत बाद होने वाली देखभाल की पूरी जानकारी रखना अहम है। प्रेग्नेंसी के दौरान से डिलीवरी तक के समय में पूरी केयर करना। क्योंकि इस दौरान देखभाल न होने से भविष्य में कई दिक्कतें हो सकती हैं।

पोस्टपार्टम/ पोस्टनेटल –
थर्ड फेज़ – जन्म के बाद मां व शिशु का खयाल
इस दौरान जटिलताओं की जानकारी होने के साथ उसी अनुसार कदम उठाना परिजन व चिकित्सक की जिम्मेदारी है। जैसे पोस्टपार्टम हेमरेज, गर्भाशय या इससे जुड़े अंगों में कोई चोट लगना, यूट्रस का प्रसव के समय अचानक बाहर आने आदि में मां- शिशु दोनों की जान खतरे में पड़ जाती है। शिशु की मौसम के अनुसार देखभाल, खानपान, फैमिली प्लानिंग व ब्रेस्टफीडिंग पर ध्यान देना जरूरी है।



Source: Health