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देवी माता मंदिर में मिले दान से बच्चे सीख रहे हिंदी-अंग्रेजी

बुरहानपुर@अमीर उद्दीन

जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र की सीमा पर सतपुड़ा पर्वत की श्रृंखला पर मां इच्छादेवी का प्राचीन मंदिर है। शारदीय नवरात्र में यहां देशभर से भक्त माता के दर्शन करने पहुंचते हैं। मंदिर की दानपेटी से यहां एक स्कूल संचालित हो रहा है।

नवरात्र पर दान में मिली राशि का एक हिस्सा शिक्षा पर खर्च होता है। 500 साल पुराने इस मंदिर में पहुंचने के लिए भक्तों को 175 सीढिय़ां चढऩी पड़ती हैं। मंदिर की दानपेटी में आने वाली राशि से मंदिर की देखरेख, जीर्णोद्धार के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य और समाजसेवा पर खर्च किया जाता है। सचिव महेश पातोंडीकर ने बताया कि 2012 से मंदिर ट्रस्ट गांव में स्कूल चला रहा है। गांव के गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों को यहां शिक्षा दी जाती है।

हिंदी के साथ अंग्रेजी भी पढ़ रहे बच्चे
मंदिर ट्रस्ट की स्कूल में हिंदी के साथ अंग्रेजी माध्यम भी शुरू किया गया है। नर्सरी से लेकर 8वीं तक अंग्रेजी एवं 10वीं तक हिंदी में पढ़ाई होती है। प्राइवेट स्कूल की तरह सुविधाएं मिलती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले बच्चों के लिए 3 स्कूल बसें चल रही हैं। 800 से अधिक बच्चे यहां शिक्षा ले रहे हैं, जिसकी शुरुआत 250 बच्चों से हुई थी।

महाराष्ट्र से भी आ रहे बच्चे
इच्छापुर गांव महाराष्ट्र की सीमा पर बसा होने से मंदिर ट्रस्ट की स्कूल में पढ़ाई के लिए महाराष्ट्र के गांव के बच्चे भी आते हैं। हर साल बोर्ड परीक्षा में अच्छे नंबर लाने वाले बच्चों को यहां पुरस्कृत भी किया जाता है।

मां इच्छादेवी मंदिर की दानपेटी से ट्रस्ट का इच्छादेवी स्कूल संचालित हो रहा है। यहां बच्चे 10वीं तक पढ़ाई करते हैं। भक्तों की दान की राशि शिक्षा, स्वास्थ्य, गोसेवा और समाजसेवा क्षेत्र में खर्च की जाती है।
– महेश पातोंडीकर, सचिव मां इच्छदेवी मंदिर ट्रस्ट



Source: Education