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अफीम नीति में रियायतों का असर- देश में इस साल करीब तीस हजार नए लाइसेंस मिलेंगे

जयप्रकाश सिंह
केन्द्र सरकार ने इस बार घोषित अफीम नीति में किसानों को परम्परागत और सीपीएस पद्धति से खेती के लिए लाइसेंस देने का निर्णय किया है। सीपीएस पद्धति से लाइसेंस के लिए किसानों को कई तरह की रियायतें दी गई है। इस कारण इस साल देश में करीब 30 हजार नए लाइसेंस जारी होने की उम्मीद है।

पिछले वित्तीय वर्ष में 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से अधिक मार्फिन देने वाले किसानों को नियमित खेती का लाइसेंस जारी किया जाएगा, जबकि सीपीएस पद्धति से खेती के लिए 3 से 4.2 किलोग्राम तक प्रति हेक्टेयर मार्फिन की न्यूनतम औसत देने वाले किसानों को लाइसेंस मिलेगा। सभी को दस आरी का पट्टा मिलेगा। लाइसेंस की प्रक्रिया 9 अक्टूबर से शुरू होगी।
हर साल नीतियों में बदलाव के चलते दो दशक में देश में अफीम के किसानों की संख्या घटकर लगभग आधी रह गई। वर्ष 1999-2000 में देश में जहां इनकी संख्या करीब 1 लाख 60 हजार हो गई थी, वहीं पिछले साल इनकी संख्या लगभग 72 हजार रह गई। इनमें राजस्थान में किसानों की संख्या 33 हजार 550 थी।
आसान नहीं है खेती करना

देश में अफीम की खेती नारकोटिक्स विभाग के नियंत्रण और निगरानी में राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के चुनिन्दा जिलों में की जाती है। इस साल उत्तराखण्ड के दो जिलों में प्रायोगिक तौर पर खेती की अनुमति दी गई है। विभाग कड़े नियमों और शर्तों के साथ पात्र किसानों की सूची जारी करता है। अफीम की बुवाई नवम्बर से दिसम्बर के पहले पखवाड़े तक हो जाती है। अप्रेल में इसकी तुलाई होगी है।

देश में अफीम उत्पादकों की संख्या

वर्ष किसान क्षेत्रफ ल हेक्टेयर में,

1994-95 104215 25216
1998-99 156071 33459
1999-00 159844 35270
2002-03 102042 20410
2004-05 87670 8770
2006-07 62658 6269
2016-17 60747 10284
2017-18 57373 5740
2018-19 69455 6949
2021-22 71000 6293
नारकोटिक्स विभाग 10 अक्टूबर से लाइसेंस देने की प्रक्रिया शुरू कर देगा। इस साल 3 हजार हेक्टेयर रकबा बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में देश में करीब 30 हजार नए किसानों को लाइसेंस मिल सकता है।
बद्रीलाल तेली, प्रांतीय अध्यक्ष, अफीम उत्पादक किसान संघ राजस्थान



Source: Education