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Infertility Problem: कृत्रिम रोशनी से भी प्रजनन क्षमता काे हाेता है नुकसान

Infertility Problem In Hindi: नाइट शिफ्ट में काम आपकी प्रजनन क्षमता काे कमजाेर कर सकता है। एक शाेध में इस बात का खुलासा हुआ है। रिसर्च में सामने आया कि नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लाेगाें के शुक्राणुओं की संख्या व क्वालिटी का स्तर गिर गया था। जिसका कारण नींद की कमी व कृत्रिम प्रकाश काे माना गया।

प्रमुख कारण
कृत्रिम प्रकाश
शाम के समय खासकर शिफ्ट बदलने के दौरान सबसे ज्यादा नींद व बॉडी क्लॉक को प्रभावित करता है। ऐसे में दिमाग मेलाटोनिन कम स्त्रावित करता है। इन दिनों कृत्रिम प्रकाश का बड़ा स्त्रोत इलेक्ट्रॉनिक गैजेट हैं। यह रोशनी मस्तिष्क में सिग्नल देकर निर्माण होने वाले हार्मोन मेलाटोनिन को अव्यवस्थित कर देती है। इस कारण महिलाओं मेंं मासिक चक्र के अलावा प्रजनन क्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है।

तनाव
तनाव व अनिद्रा से शरीर की कार्यशैली प्रभावित होने के साथ कंसीव करने में दिक्कत आती है। स्थिति को नजरअंदाज करने से प्रजनन क्षमता संबंधी दिक्कतें जैसे ओवेरियन-यूट्राइन ब्लड सप्लाई अच्छी न होना, यूट्राइन लाइनिंग व पुरुषों में शुक्राणुओं की गुणवत्ता में कमी, बढ़ जाती हैं।

मेलाटोनिन का असर ( Artificial Light can affect your fertility )
कृत्रिम रोशनी रात में शरीर पर बुरा असर डालती है खासकर महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर। देररात तक इससे बचें ।इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से निकलने वाली नीली रोशनी का गर्भवती व उसके बच्चे पर भी बुरा असर पड़ता है। 8 घंटे की अंधेरे में नींद भू्रण के विकास के लिए जरूरी है। भू्रण को निश्चित मात्रा में मां से मेलाटोनिन हार्मोन न मिलने से कुछ रोग जैसे एडीएचडी व ऑटिज्म की आशंका होती है।

क्या करें
मोबाइल के खासकर देर रात इस्तेमाल से नींद प्रभावित होती है। ऐसे में यह समस्या अनिद्रा की परेशानी को जन्म देकर तनाव का स्तर बढ़ाती है जिससे पुरुष और महिला दोनों की प्रजनन प्रणाली पर बुरा असर पड़ने लगता है। इसलिए बॉडी क्लॉक के अनुसार जीवनशैली रखें ताकि जो प्रक्रियाएं शरीर में सामान्य तौर पर होती हैं वे सुचारू होती रहें। खानपान का समय नियमित रखने के साथ जीवनशैली मेें सुधार लाएं।



Source: Health