एग्जाम से पहले होने वाले स्ट्रेस को ऐसे करें मैनेज
Dealing with exam stress : फरवरी का महीना स्टूडेंट्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। यही वो समय है जब एग्जाम शुरू होते हैं। स्टूडेंट्स के लिए, खासकर उन टीनएजर्स के लिए जो बोर्ड एग्जाम और कॉम्पिटिटिव एग्जाम दोनों की तैयारी कर रहें हैं, यह समय काफी मुश्किल हो सकता है। आने वाले एग्जाम तनाव और चिंता पैदा कर सकते हैं। आईये जानते हैं क्या है एग्जाम स्ट्रेस ?
What is exam stress : डॉ. शेफाली बत्रा, वरिष्ठ मनोचिकित्सक ( Senior Psychiatrist ) कहती हैं, ‘बोर्ड एग्जाम और कॉम्पिटिटिव एग्जाम दोनों ही चुनौती और जिम्मेदारी का काम है। यह हर बच्चे के फाउंडेशन इयर्स होते हैं , यही समय है जब भविष्य की नींव बनती है। कई बार इस सिचुएशन में तनाव पैदा हो जाता है जो उनके भावनात्मक (emotional ) और शारीरिक (physical) स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित कर सकता है। इस समय पर जैसे वो रियेक्ट करते हैं या सिचुएशन से डील करते है उससे उनकी पर्सनालिटी और सोच पर काफी असर पड़ता है। ऐसे में उन्हें अपने परिवार, टीचर्स और दोस्तों की बहुत जरुरत होती है।’
फिटनेस : मैडिटेशन और एक्सरसाइज दोनों ही बहुत जरुरी है। हर दिन आधा से एक घंटा इसको दें। खास कर एग्जाम के समय में। खुली हवा में वॉक करना, योग, प्राणायाम, ब्रीथिंग एक्सरसाइज इत्यादि को अपने रूटीन में जरूर शामिल करें।
फूड :अच्छा भोजन हमारे फिजिकल और मेन्टल हेल्थ के लिए आवश्यक है। संतुलित और ताजा भोजन खाने से न सिर्फ हेल्दी रहते हैं बल्कि इससे बिमारियों से लड़ने कि ताकत मिलती हैं। इसके अलावा खाना हमेशा खुश होकर खाना चाहिए।
प्रॉब्लम शेयर करें : वह कहते हैं ना, ‘कई बार किसी से बात करके ही सब कुछ ठीक हो जाता है।’ अपने परिवार से, टीचर से या फिर अपने दोस्त से, आप जिससे भी कम्फर्टेबले हों और खुल कर बात कर सकें उनसे अपनी प्रॉब्लम शेयर करें। आप जिस बात को लेकर स्ट्रेस्ड हैं उसके बारे में उनसे डिस्कस करें। अगर स्ट्रेस/एंग्जायटी बहुत ज़्यादा है तो प्रोफेशनल हेल्प भी ले सकते हैं। डॉक्टर बत्रा कहतीं है ‘पेरेंट्स को चाहिए कि वो बच्चों के साथ नरमी बरतें, उन्हें समझें और उनकी बात सुनें। अपने मन की बात कह देने से ही कई बार एंग्जायटी दूर हो जाती है।’
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टाइम मैनेजमेंट : अपने समय को ऑर्गेनाइज करें। एक डायरी में या हो सके तो एक बोर्ड पर टाइम टेबल बनाएं और उसके हिसाब से चलें। अगर आपकी सिटींग कैपेसिटी कम है तो उसे बढ़ाने के लिए शार्ट गोल्स रखें। जैसे 40-50 मिनट्स का टाइमर लगा लें। उस बीच पूरे कंसंट्रेशन से पढाई करें। फिर उठ कर स्ट्रेचिंग करें, वॉक करें या पानी पी कर फिर पढ़ने बैठ जाएँ। याद रहे ब्रेक 5-10 मिनट से ज़्यादा लम्बा ना हो।
आराम/ एंटरटेनमेंट से दूरी : अगर आप टाइम फिक्स नहीं कर सकते तो एंटरटेनमेंट से दूर रहें। ज़रूरत से ज्यादा टाइम फोन पर या आराम करते हुए बिताने से भी स्ट्रेस बढ़ सकता है। इसकी जगह घर के काम में मदद करना, दोस्तों की पढ़ने में मदद करना या यूँ कहें थोड़ा समय निकाल कर किसी के काम आना आपको स्ट्रेस-फ्री कर सकता है।
म्यूजिक/ हॉबी : बहुत कुछ है पढ़ने को, समय नहीं है कुछ और करने को। कई बार स्टूडेंट्स से यह सुनने को मिलता है। पर याद रहें अगर टाइम को ठीक से मैनेज करेंगे तो समय जरूर मिलेगा। दिन में कुछ समय अपनी हॉबी को जरूर दें। म्यूजिक सुनें, गिटार या कोई म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाएं, इजी कुकिंग/ बेकिंग करें या फिर घर के काम में हाथ बटाएं। यह पॉजिटिव डिस्ट्रैक्शन आपके डेडिकेशन में मदद करेगा।
काम को टालें नहीं : आपके टालमटोल की आदत आपको नुकसान पहुंचती है। आगे जाकर स्ट्रेस का कारण बन जाती है इसलिए जो करना है उसे अपने बनाये टाइम टेबल के अनुसार जरूर करें, टालें नहीं।
मदद मांगे: अपने आप को सब से अलग न करें। अकेलापन अक्सर स्ट्रेस को जन्म देता है। अगर एग्जाम के बारे में सोच कर डर लगता है तो अपनी फैमिली से, अपने टीचर से और अपने दोस्तों से मदद मांगने में हिचकिचाएं नहीं। अकेले ना रहें।
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Source: Lifestyle