दो साल बाद स्कूलों में आई ड्रेस, बच्चो को कर रहे वितरित
छतरपुर. जिले के प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं को गणवेश वितरण किया जा रहा है। कोरोना काल के दो साल में बच्चों को ड्रेस का वितरण नहीं हो सका था। लेकिन इस बार सत्र की शुरुआत में ही गणवेश वितरण शुरु हो गया है। जिले के 2.5 लाख बच्चों को 600 रुपए प्रति बच्चे के हिसाब से 13 करोड़ रुपए की लागत वाली ड्रेसों का वितरण किया जा रहा है। ये ड्रेस बच्चों को वर्तमान सत्र की दी जा रही है। जबकि पिछले सत्र की ड्रेस का पैसा अभिभावकों के खाते में भेजा जा रहा है। कुछ बच्चों को राशि मिल भी गई है। बाकी को राशि देने की प्रक्रिया चल रही है।
बिजावर व नौगांव में साइकिल वितरण किया
जिले के बिजावर व नौगांव ब्लॉक के 400 छात्राओं को साइकिल का वितरण किया गया है। हालांकि अभी जिले के अन्य ब्लॉक में साइकिल नहीं आई है। जिससे वितरण नहीं हो सका है। सरकार छठी और नौवीं में प्रवेश लेने वाले ऐसे छात्र-छात्राओं को साइकिल देती है। जिनके घर के पास मिडिल या हाईस्कूल नहीं हैं और उन्हें पढऩे के लिए घर से कम से कम दो किमी दूर आना-जाना पड़ता है। शिक्षा विभाग ने इस बार कक्षा छठी व नौवीं में प्रवेश व पूर्व पंजीयन की संख्या के आधार पर साइकिलों की मांग भेजकर साइकिल मंगवाई जाती है। जो उन्हें वितरित की जाती हैं।
कोरोना काल में बदल गई व्यवस्था
सरकारी स्कूलों में बच्चों की यूनिफार्म के लिए पालकों को नगद राशि का वितरण किया जाता था। ऐसे में कई विद्यार्थियों को पूरी राशि नहीं मिल पाती थी। इसके बाद शासन ने स्कूलों में पालक शिक्षक संघ के मध्यम से मेला आयोजित कर ड्रेस देने का निर्णय लिया था, लेकिन इसमें समस्याएं आईं। इसके बाद अब बच्चों को स्कूल से सिली हुई यूनिफार्म दी जाने की व्यवस्था की गई, जो कि दो साल पहले दी गई थी, इसके बाद से विद्यार्थियों को यूनिफार्म का इंतजार था, जो अब पूरा हो गया है।
किताब व ड्रेस मिलती है निशुल्क
प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं को शासन की ओर से गणवेश निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है। इसके अलावा सभी बच्चों को निशुल्क पुस्तकें दी जाती हैं। उन बच्चों को साइकिल मिलती है जो दो किमी से अधिक दूरी पर मौजूद स्कूल में पढऩे जाते हैं हालांकि यह शर्त कक्षा छठवीं और नौवीं के बच्चों पर लागू होती है।
इनका कहना है
स्कूलों में ड्रेस वितरण किया जा रहा है। स्वसहायता समूहों के माध्यम से उपलब्ध ड्रेसों के वितरण के संबंध में स्कूलों से रिपोर्ट मांगी गई है। पिछले सत्र की राशि बच्चों के अभिभावकों के खाते में भोपाल से जमा की जा रही है।
आरपी लखेरे, डीपीसी
फोटो- सीएचपी २४०४२३-72- पड़रिया प्राथमिक स्कूल में बच्चों को ड्रेस वितरित करती शिक्षिकाएं
Source: Tech