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Acidity Treatment: एसिडिटी में खाली पेट खाएं पेठा, ठंडा दूध रात में लें

Acidity Treatment: आयुर्वेद में एसिडिटी की समस्या के लिए अम्लपित्त को कारण माना जाता है। अम्लपित्त की समस्या अनियमित दिनचर्या और गलत खानपान से होती है। आयुर्वेद के अनुसार अम्लपित्त की समस्या शरीर में ऊष्णता (गर्मी) के कारण होती है। इसके लिए ठंडा दूध और घी लेना चाहिए। क्योंकि इनकी तासीर ठंडी होती है। अम्लपित्त में आराम मिलता है। एसिडिटी के मरीजों को दही-छाछ लेने से बचना चाहिए। अगर दही-छाछ लेना है तो सुबह के समय थोड़ी मात्रा में ही लें। घी किसी भी समय लें जबकि ठंडा दूध रात में ही लें।

पेठा एसिडिटी को सोख लेता है
पेठा अम्लपित्त में आराम देता है। जिन्हें एसिडिटी की समस्या है वे सुबह-सुबह खाली पेट 3-4 पेठा खाकर पानी पीएं। पेठा एसिडिटी को सोख लेता है और राहत देता है। अम्लपित्त की समस्या में लौकी, करेला, केला, अंगूर, आम, कच्चा नारियल खाने और नारियल पानी पीने से काफी आराम मिलता है।

याेग से दूर करें एसिडिटी
एसिडिटी में फायदेमंद एक्सरसाइज इस समस्या को दूर करने के लिए सूर्यनमस्कार, वज्रासन,सर्वांगासन, अनुलोम-विलोम, शीतली, शीतकारी प्राणायाम करें।


लक्षण व कारण
अधिक तनाव और चिंता जैसे मानसिक कारणों से भी अम्लपित्त की समस्या हो सकती।हृदय के पास, पेट व छाती में जलन, मुंह में खट्टा पानी आना, उल्टी, घबराहट, सांस लेने में तकलीफ, गले में जलन और शरीर में भारीपन लगना अम्लपित्त की समस्या को दर्शाता है। खानपान की गलत आदतों के अलावा शारीरिक और मानसिक कारणों से भी यह समस्या हो सकती है। खाने में क्या आहार और कितनी मात्रा में लेते हैं इसका असर सीधे पाचन तंत्र पर पड़ता है। ज्यादा तीखा -मसालेदार, तला-भुना, जंक-फास्ट फूड, बासी खाना और भूख से ज्यादा या कम खाने से, अधिक मात्रा में चाय-कॉफी पीने, धूम्रपान व एल्कोहल की आदत भी इसका कारण है। अधिक चिंता व मानसिक तनाव से एसिडिटी की आशंका बढ़ जाती है। अन्य कारणों में मोटापा, अधिक उम्र, गर्भावस्था और कैंसर भी शामिल हैं।

बचाव और आयुर्वेद में इलाज
अम्लपित्त के रोगियों को देर रात तक जागने और किसी भी प्रकार का नशा करने से बचना चाहिए। रात को देरी से खाने से भी यह समस्या हो सकती है। आयुर्वेद में इसके रोगी को विरेचन कराते हैं। इसमें अमलतास और त्रिवृत के चूर्ण से संशोधन कराया जाता है। गंभीर अम्लपित्त में वमन (उल्टी) क्रिया कराते हैं। वमन से विषैले तत्त्वों को बाहर निकालते हैं। इसमेंं परवल के पत्तों और मदनफल का क्वाथ दिया जाता है। आयुर्वेदिक दवाइयों में खण्डकूष्माण्डावलेह, मुलैठी, त्रिवृत, द्राक्षावलेह शतावरी चूर्ण और लघुसूतशेखर व कामदुधा रस आदि औषधियों का उपयोग होता है दवा आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह से ही लें।

इनसे रखें परहेज
– एसिडिटी में इन चीजाें को करें अवॉयड बहुत ज़्यादा चाय-कॉफी, शराब, धूम्रपान, मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।

– खाना खाने के बाद सोना तथा खाना खाने के बाद पानी पीने से बचना चाहिए। बहुत ज़्यादा ऑयली खाना नहीं खाना चाहिए।

– मिर्च-मासलेदार खाने के अलावा देर से पचने वाले भोजन जैसे राजमा, छोले, उड़द, मटर, गोभी, भिंडी, आलू, अरबी, कटहल, बैंगन, खमीरीकृत भोजन जैसे कि इडली, डोसा, बेकरी प्रोडक्ट, बासी खाना, डब्बाबंद खाना आदि का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।

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Source: Health