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सड़न नसों तक नहीं पहुंची हो तो दांतों का इलाज संभव

बच्चे हो या बड़े सभी को फास्टफूड के साथ चॉकलेट खाना पसंद है। लेकिन ज्यादा खाना और ब्रशिंग से बचना दांतों की सेहत को नुकसान पहुंचाता है। चॉकलेट, बिस्कुट, पिज्जा, बर्गर समेत अन्य सॉफ्ट ड्रिंक व फूड में व्हाइट शुगर का इस्तेमाल अधिक होता है। व्हाइट शुगर एसिड बनाती जिससे दांतों में सड़न होती है। दर्द के साथ दांत कमजोर होने लगते हैं। ये खाद्य पदार्थ स्टिकी होते हैं जो दांतों में चिपककर नुकसान पहुंचाते हैं। कोल्ड ड्रिंक से भी दांतों की तकलीफ होती है।

दांत में भरा जाता है फ्लोराइड कंपाउंड –
दांतों में सड़न के कारण खोखले हुए दांत का आधुनिक इलाज ‘केरीज अरेस्ट तकनीक’ है। इसमें रोगी की उम्र, तकलीफ कब से व कितनी गंभीर है, पहली बार कब हुई थी और क्या परिवार में दांत संबंधी कोई आनुवांशिक समस्या तो नहीं का पता लगाते हैं। सड़न की हिस्ट्री तैयार कर उसे वहीं पर रोकने का काम होता है जिससे दांत को निकालना न पड़े। यह तभी उपयोगी है जब सड़न दांत की जड़ों में मौजूद नसों तक न पहुंची हो। इसमें एक्स-रे जांच के बाद इलाज तय होता है। सिल्वर डायमीन फ्लोराइड कंपाउंड को सड़न वाले दांत में भरते हैं। इसके बाद दांतों का हमेशा खयाल रखना होता है।

लाइफ स्टाइल मॉडीफिकेशन –
ऐसे बच्चे जिनकी उम्र बहुत कम है, किसी मानसिक रोग से पीड़ित है। साथ ही वे बच्चे किसी कारण से पूरा इलाज नहीं ले सकते हैं उनके लाइफस्टाइल मॉडिफिकेशन पर जोर देते हैं जिससे वे अपने दांतों का खयाल रखना खुद से सीख जाएं।
ध्यान – बच्चे को 3-3 माह में फॉलोअप के लिए बुलाकर पहले और वर्तमान के एक्सरे की तुलना करते हैं जिससे दोबारा संक्रमण की आशंका न रहे।

सोने से पहले ब्रश –
रात को सोने से पहले ब्रशिंग जरूरी है। इस प्रक्रिया के तहत बच्चा खुद को भविष्य में होने वाली परेशानी से बचा सकता है। बच्चा जब ब्रश कर लेता है तो माता-पिता को उसका मुंह खुलवाकर देखना चाहिए जिससे पता चले सके कि उसके दांत में कुछ फंसा या चिपका तो नहीं है। रात को सोने से पहले भूल कर के भी कुछ नहीं खाना चाहिए।

बच्चों को समझाएं –
बच्चे को चॉकलेट, बिस्कुट या दूसरे फास्टफूड नहीं खाने के लिए एकदम से मना नहीं किया जाता है। ऐसे में उसे यह समझाया जाता है कि इस तरह के खाद्य पदार्थ खाने के बाद दांतों को संक्रमण मुक्त रखने के लिए ब्रश करना जरूरी है।

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Source: Health