यहां मनाई जाती है अनोखी दिवाली, लोगों के पीछे अंधाधुंध भागते हैं मवेशी, देंखे वीडियो
राजेश विश्वकर्मा की रिपोर्ट…
ब्यावरा/माचलपुर.आगे-आगे ड्रम के साथ दौड़ते ग्रामीण, पीछे सिर उठाकर झूमती हुई भैंसे और अन्य मवेशी, आनंदित कर देने वाला दृश्य, जिसका साक्षी बनने पहुँचा पूरा गांव। मौका था दिवाली के अगले दिन पडवां पर हुई मवेशी पूजा का। सोमवार को राजस्थान की सीमा से लगे जिले के आखिरी छोर पर बसे डूंगरी (माचलपुर) गांव में अनूठी दीवाली मनाई गई।
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भैंसे दौड़ी और खूब आनंदित हुई
यहां एक जगह एकत्रित हुए समूचे ग्रामीणों ने पहले एक साथ पूजा की। फिर भैंसों से आशीर्वाद लेकर छोड़ा परम्परा निभाई गई। इसके तहत आगे-आगे कुछ लोग ड्रम लेकर भागे उनके पीछे झुंड में भैंसे एक साथ भागी। देवनारायण भगवान की राड़ी में एक साथ भैंसे दौड़ी और खूब आनंदित हुई।
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इनके पीछे भैंसे भागी
माना जाता है कि भैंसे इस तरह से दौड़कर त्योहार का आनंद उठाती हैं। सालों से कायम इस परंपरा को गांव का हर बच्चा, बड़ा, बुजर्ग निभाता आ रहा है। छोड़ा खेलने के लिए राड़ी में सुरेन्द्रसिंह गुर्जर, बसंतीलाल पाटीदार, बालचंद्र गुर्जर, दुर्गा प्रसाद सेन आदि दौड़े, इनके पीछे भैंसे भागी।
एक साथ पहुँचते हैं ग्रामीण
राड़ी में एक साथ पहुँचने की यह परम्परा सालों से कायम है। यहां स्थित प्राचीन भगवान देवनारायण के मंदिर पर लोग पहुचते हैं, पहले वहां पूजन इत्यादि करते हैं, इसके वाले मवेशियों (भैंसों) की पूजा की जाती है। उनसे आशीर्वाद लेकर सालभर परिवार, घर, गांव में सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। इसके अलावा गांव के ही थाकाजी महाराज के धाम पर भी विशेष पूजा अर्चना की जाती है, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुचते हैं।
सालों से व्याप्त है परम्परा
यह प्राचीन परंपरा है, भैसों के ऐसे दौड़ने को छोड़ा कहा जाता है। इस जगह को देवनारायण भगवान की राड़ी कहा जाता है, जिसमें अभी एक साथ एकत्रित होकर भैंसों की पूजन करते हैं
-देवीलाल गुर्जर, छोड़ा खेलाने वाले, ग्राम डूंगरी
बुर्जगों के कहे अनुसार करते है
हमारे बुर्जगों के कहे अनुसार इस परम्परा को निभाते आए हैं आगे भी निभाते रहेंगे। आस-पास के किसी गांव में इस तरह की विशेष परम्परा नहीं है जहां एक साथ इस तरह पर्व मनाया जाता हो।
-हरिसिंह गुर्जर, सरपंच, ग्राम पंचायत, डूंगरी
Source: Education