क्या आप जानते हैं भगवान शिव के पिता कौन हैं?
जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि नर्मदा ने एक बार काशी जाकर घनघोर तपस्या कर शिवजी को प्रसन्न किया। भगवान शिव ने वरदान मांगने के लिए कहा तो नर्मदाजी ने कहा कि मुझे वरदान दीजिए कि कल्प कल्पांतर में मैं विद्यमान रहूं, मेरा नाश न हो और आप मेरे पुत्र बने। भगवान शिव ने इस पर कहा कि ये विचित्र मांग है और उन्होंने नर्मदाजी को कहानी सुनाई। इसी कहानी में छिपा है इस सवाल का जवाब कि भगवान शिव के पिता कौन हैं…
भगवान शिव ने कहा कि जब हिमाचल के यहां मेरा विवाह हो रहा था तब ब्रह्माजी पुरोहित बने और उस समय भी हमारे गोत्र और पिता के नाम का सवाल उठा तो हम क्या बताते, क्यों कि हम्हीं ने तो सबको जन्म दिया है। इसलिए जब ब्रह्माजी ने पिताजी का नाम पूछा तो हमने बताया कि ब्रह्मा और उनके पिता का नाम पूछा तो हमने बताया कि विष्णुजी और विष्णुजी के पिता का नाम यानी परदादा का नाम पूछा गया तो हमने बताया कि मैं ही हूं।
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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि इस सृष्टि में जो कुछ है वो शिव ही हैं…और सभी कुछ उन्हीं से ही उत्पन्न हुआ है और सब कुछ उन्हीं में विलीन होगा और विलय होता है, उनके अतिरिक्त सृष्टि और उसके बाहर कुछ नहीं है। जो भी जीव संसार में भी जन्म लेता है, उन्हीं का अंश है और अविद्या के साथ जन्म लेता है, जिससे अपने अस्तित्व को भूल जाता है। उसे यहां अपनी इसी अविद्या को दूर कर खुद को जानकर परब्रह्म से मिलन की यात्रा पूरी करना है और तब तक यह जीवन चक्र चलता ही रहता है जब तक वह अपने जीव उद्देश्य को पा न ले।
Source: Religion and Spirituality