fbpx

कफ सिरप से जान का खतरा, 300 लोगों की मौत के बाद WHO ने जारी कर दिया अलर्ट

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत की दवा कंपनी को लेकर अलर्ट जारी किया है। डब्ल्यूएचओ ने फोर्ट्स (इंडिया) लेबोरेटरीज द्वारा निर्मित सिरप कोल्ड आउट (Cold Out Syrup) के एक बैच पर सवाल उठाया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि यह स्वास्थ्य के लिए बेहद ही खतरनाक है और इससे आदमी की मौत भी हो सकती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कफ सिरप को निर्यात करने को लेकर दो महीने पहले ही नियमों में बदलाव कया गया था। अब बिना सरकारी लैब में जांच कराए कोई भी कंपनियां दवाओं को विदेश नहीं भेज सकेंगी।

 

गाम्बिया सहित दुनिया भर में 300 लोगों की मौत का जिम्मेदार ठहराते हुए भारत के 7 कफ सिरप बनाने वाली कंपनियों को डब्ल्यूएचओ ने बैन कर दिया गया था। इन कफ सिरप से गाम्बिया में ही 66 बच्चों की मौत किडनी फेल होने की वजह से हो गई। इन मौतों का जिम्मेवार भारतीय कफ सिरप को ही ठहराया गया।

यह भी पढ़ें- Silent killers diseases: ये 7 बीमारियां हैं ‘साइलेंट किलर’, पता चलने से पहले मौत के मुंह में चला जाता है इंसान

बता दें कि डब्ल्यूएचओ ने कई दवा कंपनियों के कफ-सिरप में डायथेलेन ग्लाईकोल और इथिलेन ग्लाईकोल की मात्रा अधिक होने पर बैन कर दिया था। इन कंपनियों के कंपाउंड की वजह से भारत में भी कुछ मौतें हुई हैं। लेकिन, भारत में इन कंपाउंड पर अभी तक बैन नहीं किया गया था। जिन कंपाउंड का जिक्र डब्ल्यूएचओ ने किया है, वे स्वाद तो बढ़ाते हीं साथ में मीठा भी होते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि डब्ल्यूएचओ ने जिस कंपाउंड का जिक्र किया है, वह कार्बन कंपाउंड है। ये मीठा होता है और इसलिए मिलाया जाता है ताकि बच्चे आसानी से पी सकें।

 

वहीं, कोल्ड आउट कफ सिरप की जांच में 2।1 प्रतिशत डायथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा अधिक पाई गई। यह सेहत के लिए बेहद ही खतरनाक है और इससे मौत भी हो सकती है। इसका निर्माण तमिलनाडु स्थित फोर्ट्स लैबोरोट्रीज प्राइेट लिमिटेड ने महाराष्ट्र के डाबीलाइफ फार्मा प्राइवेट लिमिटेड के लिए किया था।

Benefits of Breastfeeding: बच्‍चे की इमोशनल-मेंटल हेल्‍थ के लिए बहुत जरूरी है मां का दूध, मिलते हैं और भी फायदे

इन मौतों के बाद देश में 900 से अधिक कफ सिरप की जांच कर कंपनियों का विश्लेषण प्रमाण पत्र जारी किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर किसी भी तरह की खामियां आने पर राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण के सामने यह मामला उठाया जा सकता है।



Source: disease-and-conditions

You may have missed