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दिहाड़ी मजदूर से एशियन गेम्स में पदक विजेता बने इस युवक के संघर्षों की कहानी हर भारतीय को कर रही प्रेरित

एशियन गेम्‍स 2023 में युवा एथलीट राम बाबू ने 35 किलोमीटर रेस वॉक के मिक्‍स्‍ड टीम इवेंट में ब्रांज मेडल जीतकर देश का नाम रोशन कर दिया है। यूं तो भारत के लिए 80 से ज्‍यादा एथलीटों ने पदक जीते हैं। लेकिन, राम बाबू पदक बेहद खास है, क्‍योंकि राम बाबू जहां से अपने सफर की शुरुआत की है, वहां से एशियन गेम्‍स तक का सफर बेहद मुश्किलों भरा था। बेहद साधारण दिहाड़ी मजदूर से एशियाई खेलों में यह अविश्वसनीय उपलब्धि हासिल कर उन्‍होंने भारतीयों का दिल जीतते हुए सभी प्रेरित किया है। उन्‍होंने अभी तक के छोटे से जीवन में कई तरह की मुश्किलों और चुनौतियों का सामना किया है। आइये एक नजर डालते हैं उनकी कहानी पर।

दरअसल, आईएफएस अधिकारी परवीन कासवान ने राम बाबू के संघर्षों की कहानी सोशल मीडिया पर पोस्‍ट की है। उन्‍होंने बताया है कि कैसे रामबाबू ने अभावों के बीच जोश, जज्‍बे और जुनून के साथ अपने सपने को पूरा किया है। सोशल मीडिया पर आते ही राम बाबू की स्‍टोरी वायरल हो गई है। यूजर्स इस स्‍टोरी को खूब शेयर कर रहे हैं और अपनी-अपनी प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं।

कभी मजदूरी तो कभी बने वेटर

कासवान ने बताया कि राम बाबू कभी मनरेगा मजदूर और वेटर का काम करते थे। अब उन्होंने एशियन गेम्‍स में 35 किमी रेस वॉक मिक्स्ड टीम में ब्रांज मेडल जीता है। उनके दृढ़ संकल्प और धैर्य की बात करते हैं। उन्‍होंने उल्लेखनीय सहनशक्ति और दृढ़ता का प्रदर्शन करते हुए 5 घंटे, 51 मिनट और 14 सेकंड का समय निकाला।

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रामबाबू ने अनगिनत लोगों को दिखाई राह

रामबाबू की इस उपलब्धि से न केवल वह गौरवान्वित हुए हैं, बल्कि प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने वाले अनगिनत लोगों को उन्‍होंने नई राह दिखाई है। कासवान की रामबाबू पर ये छोटी सी पोस्ट इस बात को इंगित करती है कि दृढ़ता क्या कर सकती है? राम बाबू की प्रेरक कहानी से लोग काफी प्रभावित हो रहे हैं।

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Source: Sports