त्वचा के घातक कैंसर, मेलेनोमा के इलाज में नई वैक्सीन ने जगाई उम्मीद!
New vaccine shows promise in treating deadly skin cancer : वैज्ञानिकों ने त्वचा के सबसे घातक कैंसर, मेलेनोमा के इलाज के लिए एक प्रयोगात्मक mRNA वैक्सीन विकसित की है, जिसने बेहतर परिणाम दिखाए हैं।
मोर्डना द्वारा बनाई गई यह वैक्सीन मर्क की कैंसर दवा कीट्रुडा के साथ मिलकर काम करती है। शोध के नतीजे बताते हैं कि ये दोनों मिलकर मेलेनोमा के मरीजों में तीन साल बाद मृत्यु दर या कैंसर के दोबारा होने की संभावना को कीट्रुडा के अकेले इस्तेमाल करने की तुलना में 49% तक कम कर सकती हैं।
इतना ही नहीं, ये दोनों मिलकर कैंसर के शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने (मेटास्टेसिस) की संभावना को 62% तक कम कर देते हैं।
शोध के अनुसार, इस वैक्सीन के सबसे आम साइड इफेक्ट्स थकान, इंजेक्शन लगने वाली जगह पर दर्द और ठंड लगना हैं।
मेलेनोमा, त्वचा के कैंसर का सबसे गंभीर रूप है, जिसमें रंग बनाने वाली कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं। पिछले कुछ दशकों में मेलेनोमा के मामलों में लगातार वृद्धि देखी गई है। दुनिया भर में 2020 में लगभग 325,000 नए मामले सामने आए थे।
मोर्डना के सीईओ स्टीफेन बैंसेल का कहना है कि इस वैक्सीन को 2025 तक कुछ देशों में मंजूरी मिल सकती है और बाजार में आ सकती है। कंपनियां मेलेनोमा के शुरुआती चरणों में भी इस वैक्सीन का परीक्षण कर रही हैं।
बैंसेल का मानना है कि “जितनी जल्दी कैंसर का पता चलता है और इलाज शुरू होता है, मरीज का इम्यून सिस्टम उतना ही मजबूत होता है। इसका मतलब है कि हमारा यह व्यक्तिगत उपचार और भी बेहतर काम कर सकता है।”
यह वैक्सीन मोर्डना के कोविड वैक्सीन की तरह ही mRNA तकनीक पर आधारित है। इसे हर मरीज के लिए अलग-अलग बनाया जाता है, जिसमें उनके ट्यूमर का ऑपरेशन करके निकाले गए टिश्यू का विश्लेषण किया जाता है। यह वैक्सीन कैंसर कोशिकाओं में मौजूद खास म्यूटेशन को पहचानने और उन पर हमला करने के लिए मरीज के इम्यून सिस्टम को प्रशिक्षित करने के लिए डिज़ाइन की गई है।
कीट्रुडा एक इम्यूनोथेरेपी दवा है जो शरीर के इम्यून सिस्टम की ट्यूमर कोशिकाओं को पहचानने और उनसे लड़ने की क्षमता को बढ़ाकर काम करती है।
दोनों दवा निर्माताओं ने मिलकर इस वैक्सीन का परीक्षण गैर-छोटे कोशिका वाले फेफड़े के कैंसर के मरीजों पर भी शुरू कर दिया है।
Source: Health