खरमास में भूलकर भी न करें तुलसी से जुड़े ये काम वर्ना रूठ जाएंगी माता लक्ष्मी, इस महीने तुलसी को तीन दान का है नियम
कब शुरू हो रहा खरमास
हिंदू पंचांग के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य 16 दिसंबर को शाम करीब 04.09 बजे धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इसी के साथ खरमास लग जाएगा और खरमास में मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं। रविवार 14 जनवरी 2024 को सुबह 6.24 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे, सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद ही फिर मांगलिक कार्य शुरू होंगे। लेकिन यह महीना भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, सूर्य नारायण और तुलसी जी की पूजा का विशेष महीना है। लेकिन खरमास में तुलसी से जुड़े ये काम आपसे माता लक्ष्मी को नाराज कर सकती है तो आइये जानते हैं कौन से काम खरमास में न करें और तुलसी के किन नियमों का अनिवार्य रूप से पालन करें ..
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा
प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय के अनुसार खरमास में श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। लेकिन जब तक तुलसी की पूजा नहीं होती, तब तक श्री हरि विष्णु की पूजा पूरी नहीं मानी जाती, इसलिए इस समय तुलसी माता की भी पूजा करनी चाहिए। लेकिन खरमास में मंगलवार, रविवार और एकादशी को तुलसी को जल अर्पित न करें वर्ना माता लक्ष्मी रूठ सकती हैं। इसके अलावा तुलसी की पूजा में सिर्फ तीन तरह से ही कर सकते हैं।
खरमास में 10 दिन तुलसी की पूजा न करें
पंचांग के अनुसार खरमास 2023 में 16 दिसंबर से 13 जनवरी तक दो एकादशी, 4 रविवार और 4 मंगलवार पड़ रहे हैं। इससे इन दस दिनों तक भूलकर भी तुलसी को न छूएं और उनको जल अर्पित न करें। मान्यता है कि इससे माता लक्ष्मी रूठ जाएंगी।
भगवान सत्यनारायण की षोडश पूजा करें
धनु संक्रांति पर शनिवार को भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की षोडश पूजा करें। इसी के साथ ही तुलसी पूजा भी करते हैं। तुलसी माता को जल अर्पण करें और उनकी पूजा करें। मंगलवार, रविवार और एकादशी के दिन तुलसी के पौधे को भूलकर भी न छूएं और न ही जल अर्पित करें।
तुलसी को करें ये सिर्फ ये दान
खरमास के दिनों में भूलकर भी तुलसी के ऊपर सिंदूर या कोई पूजन सामग्री न चढ़ाएं। इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसी के साथ ही दूर्वा भी न चढ़ाएं इससे माता लक्ष्मी रूष्ठ होती हैं। खरमास में तुलसी को जल दान, दीपदान और धूपदान दे सकते हैं। बाकी अन्य किसी भी प्रकार की पूजा नहीं कर सकते हैं।
Source: Dharma & Karma