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किन्नरों की ये सच्चाई चौका देती है, हर कोई हो जाता है हैरान, जानिए इनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें

कोटा. किन्नर उन्हें कहा जाता है जो ना तो मर्द होता है और ना ही औरत जिनका वर्ग अलग होता है किन्नरों की दुआ काफी अच्छी और पवित्र मानी जाती है। ग्रंथो में भी किन्नर समुदाय का जिक्र किया गया है और किन्नरों के जुड़े कई राज हर किसी को पता नहीं होते। किन्नरों का रहन-सहन साधारण मनुष्यों से बिलकुल अलग होता है इनकी बददुआ लेना जीवन बर्बाद करने जैसा होता है।

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किन्नरों की अलग ही दुनिया होती है और ये हर कही नहीं रहते बल्कि अपने समुदाय के साथ रहते है और हर किन्नरों का समाज के हिसाब से हर जगह का एरिया फिक्स होता है। इस बार का बहुत कम जिक्र हुआ है की जब कोई किन्नर अपने समाज ने नया शामिल होता है तो नाच गाना और भोज होता है।

किन्नर की शादी एक दिन के लिए होती है ये अपने आराध्य देव अरावन से शादी करते है केवल एक दिन के लिए। किन्नर की मृत्यु की खबर किसी को नहीं होती और किन्नरों की शव यात्रा चुपचाप रात को निकली जाती है और माना जाता है की किसी व्यक्ति को इनकी शव यात्रा नहीं देखनी चाहिए। किन्नार की जब शव यात्रा निकलती है तो मरे हुए किन्नर को चप्पलो से पीटा जाता है ताकि उसे अगले जन्म में ऐसा जीवन ना मिले।

सिर्फ रात को ही क्यों निकाली जाती है किन्नरों की शव यात्रा…

‘थर्ड जेंडर’ यानी किन्नर…किन्नरों को हमारे समाज में तीसरे ..का दर्जा प्राप्त है। किन्नरों की जिंदगी साधारण लोगों से काफी अलग होती है, इस बात को ना केवल हमने जाना है बल्कि कई दफा देखा भी है।

इनका जीवन बसर करने का तरीका महिलाओं और पुरुषों दोनों से ही अलग होता है। लेकिन इनमें और हम में एक चीज बेहद सामान्य है और वो है अपने-अपने रीति-रिवाजों का पालन करना।

कई लोग इनकी रहस्मयी दुनिया के बारे में जानते भी ना हों, इसलिए आज हम आपको इनकी दुनिया से रूबरू कराएंगे जहाँ बहुत से रिवाज़ हैं किसी भी किन्नर के लिए जन्म से लेकर मृत्यु तक उनके नियम आम लोगों से अलग होते हैं। आपने किन्नरों के जन्म की खबरें तो सुनी होंगी या इन घटनाओं से वाकिफ होंगे लेकिन क्या कभी आपने किसी किन्नर की शव यात्रा देखी है..?

शायद बाकी सभी की तरह आपने भी कभी किसी किन्नर की शव यात्रा ना देखी हो, इसके पीछे एक छुपा हुआ रहस्य है, जिसके बारे में हर कोई नहीं जानता।

किन्‍नरों में शव को सभी से छुपा कर रखा जाता है। शव को वैसे तो सभी धर्मों में छुपा कर ही ले जाया जाता है लेकिन किन्नरों और आम लोगों की शव यात्रा में अंतर ये है कि उनकी शव यात्रा दिन की बजाय रात में निकाली जाती है। ऐसा इसलिए है ताकि किन्नरों की शव यात्रा कोई इंसान ना देख सके। दरअसल, किन्नरों की शव यात्रा रात में इसलिए निकाली जाती है ताकि कोई इंसान इनकी शव यात्रा ना देख सके।

किन्नर समाज में यह रिवाज़ कई सालों से चला आ रहा है। इनके समाज में इसी के साथ इस बात का भी खास ध्यान रखा जाता है कि इनकी शव यात्रा में किसी और समुदाय के किन्नर मौजूद ना हों।

किन्नरों का मानना है कि किसी भी किन्नर की मृत्यु के बाद मातम मनाने की बजाय जश्‍न मनाना चाहिए क्योँकि उनके साथी को इस नर्क समान जीवन से मुक्ति प्राप्त हुई होती है। यही कारण है कि ये लोग अपने किसी के चले जाने के बाद भी रोते नहीं बल्कि ख़ुशियां मनाते हैं।

इनके यहां अपनों की मृत्यु के बाद दान देने का भी रिवाज़ है, साथ ही ये भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उनके जाने वाले साथी को अच्छा जन्म मिले। किन्‍नर समाज का सबसे अजीब रिवाज़ है कि वो मृत्यु के बाद शव को जूते-चप्पलों से पीटते हैं, उनका मानना है कि ऐसा करने से मरने वाले के सभी पाप और बुरे कर्म का प्रायश्चित हो जाता है। किन्नर वैसे तो हिंदू धर्म का पालन करते हैं लेकिन किन्नरों की शव यात्रा के बाद वह शव को जलाने की बजाय उसे इस्लामिक धर्म के तहत दफना देते हैं।

समाज में हर किसी को जीने का और सामन्य अधिकार मिलने का हक है लेकिन भारत और अन्य देशों में काफी दूर्व्‍यवहार किया जाता है जिस कारण ही इन्होंने अपना खुद का एक समाज बना लिया है।

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Source: Education