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शीशे में हरदम निहारते रहना भी है एक बीमारी, जानिए क्या

Body Dysmorphic Disorder: जब कोई व्यक्ति अपनी शारीरिक संरचना और सौंदर्य को लेकर जरूरत से ज्यादा सचेत रहने लगे और हर वक्त शरीर की चिंता करते हुए खुद को आईने में निहारने लगे, तो समझ जाएं कि वह बॉडी डिसमॉर्फिक डिसऑर्डर नामक मानसिक बीमारी से पीड़ित है। यह विकार दिखने में मामूली लगता है, परन्तु यह एक बहुत ही घातक और गंभीर मानसिक विकार है। इसमें व्यक्ति अपने आप को बाकि लोगों से सुन्दरता के मामले में कमतर समझने लगता है। इसमें व्यक्ति अपने आप को शारीरिक रूप से कुरूप समझने लगता है। इस तरह की समस्या होने पर व्यक्ति घर के बाहर निकलने में संकोच करता है, एक कमरे में बंद होकर रहना, किसी बाहर वाले या घर के सदस्यों से न मिलना, खुद को बहुत ज्यादा बदसूरत समझने लगना शुरू कर देता है। आइए जानते हैं इसके लक्षण आैर इलाज के बारे में:-

लक्षण
इस मनोदशा से पीड़ित व्यक्ति तरह-तरह के कॉस्मेटिक या ब्यूटी ट्रीटमेंट करवाता रहता है। फिर भी अपनी बॉडी इमेज के प्रति संतुष्ट नहीं हो पाता। कई बार वह नए लोगों के सामने आने से कतराता या शर्माता है। किसी की नकारात्मक, व्यंग्यात्मक टिप्पणी भी इसकी वजह बन सकती है।

कारण
कई अन्य मानसिक विकारों की तरह इस तरह के मानसिक विकार के कारणों का भी पता कर पाना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन कई शोध में यह माना गया है कि यह दिमाग के उस हिस्से में होने वाले रासायनिक बदलावों के कारण होता है, जो हिस्सा पूरे शरीर को किसी भी कार्य को करने की सूचना देता है। इसके साथ-साथ इस विकार के होने का कारण अत्यधिक डिप्रेशन और एंग्जायटी को माना जाता है। इसके अतिरिक्त इसके पीछे इन कारणों को जिम्मेदार ठहराया जाता है।

जांच
इस तरह के मानसिक विकार की जांच करना अपने आप में बहुत ज्यादा मुश्किल है। क्योंकि इस समस्या से जूझ रहा व्यक्ति अपने बारे में सही जानकारी नहीं दे पाता है, बल्कि बहुत ज्यादा संकोच करता है। इसके लिए विशेषज्ञों के द्वारा शारीरिक रूप से जांच की जाती है। व्यक्ति के हाव-भाव मापे जाते हैं, जिससे इस बात की पुष्टि कि जा सके कि उसे इस तरह की समस्या है भी या नहीं है।

उपचार
इस तरह के मानसिक विकार का उपचार भी उसी तरह से किया जाता है जैसे कि अन्य तरह के मानसिक विकारों का उपचार किया जाता है। उनमें मनोचिकित्सक के द्वारा काउंसलिंग करवाना, दवाओं के माध्यम से, ग्रुप या परिवार के बीच की जाने वाली थेरेपी शामिल होती है। काउंसलिंग के दौरान पीड़ित व्यक्ति के साथ बातों के माध्यम से समस्याओं को ठीक किया जाता है। इसमें व्यक्ति से उसके जीवन के बारे में सारी बातों को जाना जाता है, फिर उन बातों के आधार पर व्यक्ति का उपचार किया जाता है। परिवार या ग्रुप में की जाने वाली थेरेपी में व्यक्ति को परिवार के सदस्यों और ग्रुप के लोगों के साथ उनकी इस समस्या को ठीक किया जाता है।

आत्मविश्वास है जरूरी
इस बीमारी के इलाज में दवाओं के साथ-साथ कोग्निटिव बिहेवियर थैरेपी काफी प्रभावी है। जिसमें मरीज की किसी शारीरिक कमी को दूर करते हुए मनोचिकित्सक उसमें आत्मविश्वास जगाता है ताकि उसमें हीन भावना खत्म हो सके। इसमें डॉक्टर मरीज की उस मानसिक बॉडी इमेज को भी दुरुस्त करते हैं जिसे वह हीन भावना से देखता है।



Source: Health