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ठंडा-गर्म लगता है, दंत क्षरण हो रहा है तो जानें ये बातें

कुछ ठंडा,गर्म या मीठा खाने या पीने पर दांतों में सनसनाहट पैदा हो तो इसे सेंसिटिविटी कहा जाता है। इसी सेंसिटिविटी को समझने के लिए हमें सेंसिटिविटी (संवेदनशीलता) और हाइपर-सेंसिटिविटी (अतिसंवेदनशीलता) में अंतर जान लेना आवश्यक है।

कुछ ठंडा या गर्म खाने-पीने पर अगर उस खाद्य या पेय पदार्थ की ठंडक या गर्माहट का मात्र एहसास हो और किसी प्रकार का कष्ट न हो, तो इसे दांतों का संवेदनशील (सेंसिटिव) होना कहते हैं, लेकिन यह मात्र एहसास ना रहकर तकलीफ में बदल जाए और दांतों में झनझनाहट सी महसूस हो, तो ऐसे में दांतों को अतिसंवेदनशील (हाइपर-सेंसिटिव) कहा जाता है। दांतों का संवेदनशील होना सामान्य बात है लेकिन अतिसंवेदनशील होने पर इलाज की जरूरत होती है। बोलचाल की भाषा में इसी हाइपर-सेंसिटिविटी को हम सेंसिटिविटी कहते हैं।

कैसे होती है सेंसिटिविटी –
जब किसी कारणवश दांतों की एनेमल या सीमेंटम दांतों पर से हट जाते हैं, तो यह स्नायुतंत्र सीधे बाहरी वातावरण के संपर्क में आ जाता है और दांत सेंसिटिव हो जाते हैं।

सख्त टूथब्रश –
सख्त टूथब्रश या मोटे कणों वाले दंतमंजन या टूथपेस्ट के इस्तेमाल से दांत सेंसिटिव हो जाते हैं।
पाइरिया –
पाइरिया की वजह से जब मसूड़े दांतों से हटने लगते हैं, तो भी दांत सेंसिटिव हो जाते हैं। तम्बाकू और गुटखे का लगातार सेवन करने से भी दांत सेंसेटिव हो जाते हैं।
दांतों का गलना –
अधिक अम्लीय खाद्य-पेय पदार्थ से दांत गलने लगते हैं। यही इरोजन है।
कैविटी –
कीड़ा लगने से कैविटी बन जाती है, जिससे सेंसिटिविटी होती है।
दांत टूटने से-
अगर दांत का कुछ हिस्सा टूट जाए तो भी दांत सेंसिटिव हो सकता है।
बचाव-
उच्चस्तरीय टूथपेस्ट उपयोग करें। अम्लीय और खट्टी चीजें जैसे नींबू, कैरी, इमली आदि कार्बोनेटेड कोल्डड्रिंक, सोडा जरूरत से ज्यादा न लें।

सेंसिटिविटी का उपचार –

एन्टी-सेंसिटिव टूथपेस्ट एवं माउथवाश : इनेमल या सीमेंटम का घिसाव ज्यादा मात्रा में नहीं होने पर।
फिलिंग : घिसाव अधिक मात्रा में होने या कैविटी होने पर।
रूट कैनाल : कैविटी के ज्यादा गहरे होने पर
ग्राफ्ट : पाइरिया में हटे हुए मसूड़ों की जगह कृत्रिम तरीके से मसूड़ों का ग्राफ्ट प्रत्यारोपित किया जाता है।
क्राउन (कैप) : टूटने पर दांतों को कैप लगा कर ढक दिया जाता है।



Source: Health