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कितने घंटे सोना है जरूरी, जानिए नींद से जुड़े कुछ मिथक और सच्चाइयां

अच्छी सेहत के लिए नींद जरूरी है लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि इसके लिए उल्टे-सीधे प्रयोग भी करने लगें। जी हां, कुछ लोग नींद के बारे में ऐसी कई धारणाएं बना लेते हैं जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता। आइए जानें नींद से जुड़े कुछ मिथ और उनकी सच्चाइयां।

मिथ : रोज आठ घंटे की नींद सेहतमंद जीवन के लिए जरूरी है।
सच्चाई : मनोचिकित्सकों का कहना है कि जरूरी नहीं कि सेहतमंद जीवन के लिए आप रोज आठ घंटे ही सोएं। हर शरीर के हिसाब से जरूरतें अलग-अलग हैं। अमूमन 6 से 9 घंटे की नींद हर सेहतमंद व्यक्ति अपने-अपने शरीर की जरूरतों के हिसाब से ले सकता है।

मिथ: ज्यादा सोने से तनाव कम होता है।
सच्चाई : ज्यादा सोने वाले लोग तनावमुक्त रहते हैं ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है। असलियत तो यह है कि बहुत अधिक सोना भी अवसाद का एक बड़ा और सामान्य लक्षण है।

मिथ : हफ्ते भर की थकान और नींद का कोटा वीकेंड पर पूरा करने में दिक्कत नहीं।
सच्चाई : अगर आप सप्ताह भर कम सोते हैं और वीकेंड पर देर तक सोते हैं तो यह आपकी सेहत के लिए खतरे का अलार्म है। मनोचिकित्सकों के अनुसार आज की जीवनशैली में हमारा यह रवैया बॉडी क्लॉक को बुरी तरह प्रभावित करता है जो सेहत के लिए कतई ठीक नहीं है।

मिथ : दोपहर में कॉफी पीने से रात की नींद का कोई संबंध नहीं।
सच्चाई : अगर आप दिन में कॉफी की अधिक मात्रा यह सोचकर लेते हैं तो हो सकता है इसका प्रभाव रात में भी आपकी नींद पर पड़े। डॉक्टरों का मानना है कि कॉफी में मौजूद कैफीन के कण रक्त में 12 घंटों तक बने रहते हैं इसलिए इसका असर देर तक रहता है।

मिथ : खर्राटे लेना चैन की नींद की निशानी?
सच्चाई : खर्राटे लेने की वजह यह नहीं होती कि आप गहरी नींद में हैं बल्कि नाक के छिद्र के सॉफ्ट टिशू में होने वाला कंपन या मस्तिष्क को पूरी तरह ऑक्सीजन न मिल पाने की स्थिति में व्यक्ति खर्राटे लेता है।



Source: Health

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