18 साल बाद ट्रेन आई तो पलट गए लोग, ट्रेन से परिवहन को लेकर पशुपालकों में दो गुट
नागौर। विश्वस्तरीय रामदेव पशु मेला ( Ramdev Pashu Mela ) में राज्य से बाहर पशुओं के परिवहन के लिए ट्रेन के नाम पर पशु पालक चिल्ल-पों मचाते थे। अब सांसद हनुमान बेनीवाल ( Hanuman Beniwal ) एवं विधायक बेनीवाल की ओर से हुए अथक प्रयासों के बाद 18 साल के बाद ट्रेन की व्यवस्था हो गई, रेलवे के अधिकारी व कर्मी भी पशुपालकों से आवेदन भराने के लिए पहुंच गए तो ऐन मौके पर पशुपालक ही पलट गए। ट्रेन से परिवहन को लेकर पशुपालकों में दो गुट हो गए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मंगलवार शाम को विधायक नारायण बेनीवाल खुद मेला पहुंचे और पशुपालकों से बातचीत की, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।
रामदेव पशु मेला में पशुओं के पविहन के लिए मेला शुरू होने के साथ ही मेला स्थल पर पहुंचे सांसद हनुमान बेनीवाल से पशु पालकों ने ही राज्य से बाहर पशुओं के परिवहन के लिए ट्रेन की व्यवस्था किए जाने का आग्रह किया था। इस दौरान बेनीवाल ने उनकी सभी समस्याओं के साथ ही ट्रेन के माध्यम से परिवहन व्यवस्था का निराकरण कराने के लिए आश्वस्त भी किया। मेला समापन होने से पहले ही पशु मेला के अधिकारियों ने भी प्रदेश से बाहर पशुओं का परिवह करने वालों में विशेषकर उत्तर प्रदेश से आने वाले पशु पालकों को भी बता दिया गया कि वह अब वह पशुओं के हिसाब से पैसा जमा करा दें, अब इसके लिए आवेदन भर दिया जाएगा। ताकी ट्रेन की बुकिंग की जा सके, रेलवे की ओर से इसकी रजामंदी मिल गई है। उद्घोषणा के दौरान पशु पालकों ने पहले तो एक सुर में हां में हां मिलाकर अपनी सहमति दे दी। पशु पालकों की ओर से आश्वस्त होने के बाद मेला प्रशासन की ओर से भी रेलवे को हरी झंडी दे दी गई। इससे रेलवे के अधिकारी-कर्मी भी रामदेव पशु मेला स्थल आवेदन आदि लेकर पहुंच गए, लेकिन तकरीबन दो से तीन घंटे तक इंतजार करने व बार-बार माइक से उद्घोषणा करने के बाद भी कोई पशुपालक आवेदन भरने नहीं पहुंचा। पशुपालकों में ज्यादातर उत्तरप्रदेश क्षेत्र के बताए जाते हैं। इन्हीं के पशुओं का परिवहन किया जाना था।
विधायक बेनीवाल पहुंचे मेला, की पशुपालकों से बातचीत
ट्रेन आदि की व्यवस्था होने के बाद भी पशुपालकों की ओर से मंगलवार की शाम तक भी आवेदन नहीं भरे जाने की जानकारी मिलने पर विधायक नारायण बेनीवाल भी रामदेव पशु मेला स्थल पहुंचे, और पशुपालकों से बातचीत की। बातचीत के दौरान उनकी समस्याओं के बारे में बिंदुवत चर्चा की गई। इसके बाद भी प्रदेश से बाहर जाने वाले पशुपालकों में अधिकतर सहमत नहीं हुए। पशुपालकों का कहना था कि ट्रकों से परिवहन होने के बाद इनका किराया वहां जाकर दिया जाएगा, लेकिन ट्रेन के लिए तत्काल देना पड़ेगा। कुछ ने तत्काल पैसे जमा करने में असमर्थतता जताई तो विधायक ने खुद के स्तर पर भी इसकी मदद के लिए आश्वस्त किया। इसके बाद भी पशु पालकों का ट्रेन से परिवहन के लिए सहमत नहीं होना लोगों के समझ से परे रहा।
गुपचुप लेकर हो गए थे रवाना, स्थिति संदेहास्पद बनी
ट्रेन से परिवहन को लेकर पशुपालकों में दो फाड़ तो हो गए। हालांकि एक गुट ट्रेन से परिवहन पर सहमत तो था, लेकिन ट्रेन के माध्यम से परिवहन की स्थिति में पर्याप्त राशि नहीं होने के चलते पूरे प्रदेश से बाहर जाने वाले पूरे पालकों के सहमत होने पर ही ट्रेन चलाई जा सकती थी। इसको लेकर दोनों गुटों में परस्पर बहस भी हो गई, और असंतुष्ट गुट रात्रि में ही गुपचुप पशुओं को लेकर रवाना हो गए, लेकिन उनको सुरक्षा की दृष्टि से मेले में वापस ले आया गया था। ताकी रास्ते में इनको कहीं कोई दिक्कत न हो सके। बाद में बाहर जाने वाले सभी पालक पशुओं सहित ट्रक से ही एक-एक कर रवाना होने लगे, लेकिन इनका ट्रेन से परिवहन नहीं करने का रवैया लोगों के समझ से परे रहा।
अधिकारियों का कहना था कि ट्रेन से परिवहन होने की स्थिति में इनको ट्रकों से होने वाले कुल व्यय राशि में आधी से भी कम राशि व्यय करनी पड़ती। इसके बाद भी इनका मंहगे दरों पर ट्रेन से ही परिवहन करने से पालक खुद-ब-खुद संदेह के घेरे में आ गए।
विधायक कहिन…
विधायक नारायण बेनीवाल से बातचीत हुई तो इनका कहना है कि काफी प्रयासों के बाद पशुओं के परिवहन के लिए ट्रेन की व्यवस्था की गई थी। इसके बाद भी पशुपालकों का रियायती एवं सस्ते दर पर ट्रेन से परिवहन की जगह ट्रकों से पशुओं का परिवहन करने का कारण समझ से परे रहा है।
इनका कहना है…
करीब 18 साल के बाद रामदेव पशु मेला स्थल से पशुओं के परिवहन के लिए ट्रेन की व्यवस्था हुई, लेकिन उत्तरप्रदेश जाने वाले ज्यादातर पशु पालक ट्रेन से परिहवन किए जाने पर अंतिम समय पर पलट गए। इससे रेलवे अधिकारियों व कर्मियों को वापस जाना पड़ा।
डॉ. सी. आर. मेहरड़ा, रामदेव पशुमेला प्रभारी व संयुक्त निदेशक पशुपालन नागौर
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