विचार मंथन : कर्त्तापन के भाव से परे होता है गुणातीत पुरुष- श्रीमद्भगवद्गीता
जो प्रिय-अप्रिय में सम रहता है जो धीर मनुष्य दुःख-सुख में सम तथा अपने…
जो प्रिय-अप्रिय में सम रहता है जो धीर मनुष्य दुःख-सुख में सम तथा अपने…
अंतर्मुखी जैन मुनि पूज्य सागर जी युवाओं के मन की बात को समझते हुए अपने…
पाण्डिचेरी आश्रम महर्षि श्री अरविन्द के शिष्य नलिनीकान्त अपनी सोलह वर्ष की आयु से लगातार…
हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हुए शिक्षा के क्षेत्र…
आज के मनुष्य का एक प्रधान शत्रु-आलस्य है तनिक सा कार्य करने पर ही वह…
अपने लक्ष्य में सफल होने के लिए, आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकमात्र दृढ़ भक्ति…
एक नगर मे एक महान सन्त साधकों को अतिसुन्दर कथा-अमृत पिला रहे थे वो साधना…
मनुष्य अपना शिल्पी आप है, प्रारम्भ में वह एक चेतन-पिण्ड के रूप में ही उत्पन्न…
गुरु को केवल तत्त्व मानकर उनकी देह का अनादर करेंगे तो हम निगुरे रह जायेंगे।…
कठिनाइयों से डरिये मत, जूझिये दुनिया के घर घर में पी जाने वाली लिप्टन…