नकारात्मकता में से सकारात्मकता खोज कर ही सफल हुआ जा सकता है
अगर हम देखें, तो हर तरफ नकारात्मकता फैली है। नकारात्मक विचारों का प्रवाह इस काल में बहुतायत से हो रहा है। महामारी का यह दौर ऐसा है, जब हर कोई परेशान है, लेकिन इन सबके बीच कुछ सकारात्मक चीजें भी हो रही हैं। लोगो की नौकरियां गईं, लोग परेशान हुए, तो उनकी मदद करने के लिए सैकड़ों हाथ खड़े हो गए। यह सकारात्मकता ही हमें आगे बढऩे की प्रेरणा देती है। अगर मैं बात करूं, तो आज बहुतायत में लोग ऐसे हैं, जो एक-दूसरे के विरोधी हैं, वे नकारात्मक विचारों से भरे पड़े हैं। लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि नकारात्मकता में से सकारात्मकता खोज कर ही सफल हुआ जा सकता है। मैं एक शिक्षाविद हूं और मैंने कई विद्यार्थियों को देखा है, जो केवल भौतिक सुख-समृद्धि को ही सफलता का पैमाना मानते हैं, लेकिन मेरा मत है कि सफल वही है, जो भौतिक नहीं बल्कि अर्थवान जीवन जीता है। अर्थवान जीवन हमें शांति प्रदान करता है और अगर जीवन में शांति का वास है, तो हर काम में सफलता मिलनी ही है, क्योंकि असफल वही होता है, जो व्यग्र है, व्यथित है, मन में हलचल है। दरअसल, हम अगर गौर करें, तो जब हमारे मन में हलचल होती है या हम व्यथित होते हैं, तो निर्णय लेने में असुविधा होती है और जल्दबाजी में हम गलत निर्णय ले लेते हैं, जो हमारे कार्य को असफलता की ओर ले जाते हैं, लेकिन शांत चित्त से किया गया कार्य हमेशा सफल होता है, क्योंकि तब हम जो निर्णय लेते हैं, वह विवेकपूर्ण निर्णय होते हैं।
अर्थवान जीवन के लिए निरंतर अभ्यास
अब बात आती है कि अर्थवान जीवन कैसे जिया जाए, तो इसके लिए निरंतर अभ्यास की जरूरत है। सबसे पहली बात है प्रतिशोध की भावना का त्याग करना। अगर किसी ने आपके साथ कुछ गलत भी किया, तो प्रतिशोध की जगह उसे क्षमा कर दीजिए और उसे सिर्फ प्रेम दीजिए। आप देखेंगे कि कैसे वह व्यक्ति आपका मुरीद हो जाता है। मन से डर की भावना को भी निकाल दें, क्योंकि डर आगे बढऩे से आपको रोकता है। इसके साथ ही हमेशा संयम से काम करें और खुद पर भरोसा रखें। यह कुछ ऐसे उपाय हैं, जिन्हें जीवन में अगर अपना लिया गया, तो आप कभी भी असफल नहीं होंगे।
केके निर्भय, शिक्षाविद
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