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कोरोना लॉकडाउन में बंद हुए दुर्ग जिले के 49 निजी स्कूल, स्टाफ को पेमेंट देने के पैसे नहीं थे हजारों लोग हुए बेरोजगार

भिलाई. कोरोना संक्रमण (Coronavirus in chhattisgarh) के दौरान सबसे ज्यादा अगर नुकसान हुआ है तो वह है मंझोले निजी स्कूल। जहां पालकों के फीस नहीं देने और एडमिशन नहीं होने की वजह से यहां तालाबंदी हो गई। दुर्ग जिले में कुल 49 स्कूलों के संचालकों ने मान्यता खत्म करने आवेदन दिया। जिसके बाद शिक्षा विभाग ने उन स्कूलों की मान्यता को खत्म करने की कार्रवाई की। विभाग के मुताबिक सबसे ज्यादा स्कूल सत्र 2019-20 और 2020-21 में बंद हुए। संचालकों ने स्कूल बंद करने के पीछे कारण बताया है कि लॉकडाउन में पालकों की नौैकरी छूट गई और उन्होंने स्कूलों की फीस भरनी बंद कर दिया। जिसके बाद स्कूलों में ताला लग गया। इस दौरान ज्यादा मुसीबत आरटीई में पढऩे वाले बच्चों को हुई। हालांकि विभाग ने इन बच्चों को आसपास के स्कूलों में शिफ्ट करा दिया है,लेकिन कई ऐसे बच्चे है, जिन्हें अब अंग्रेजी के बदले हिन्दी माध्यम स्कूल में पढ़ाई करनी पड़ रही है।

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हजार से ज्यादा लोग हुए बेरोजगार
दुर्ग जिले में कोरोना महामारी के कारण अब तक 49 स्कूल बंद हो गए हैं। जिनमें औसतन एक स्कूल से करीब 15 से 17 लोगों की नौकरी भी छूट गई। जिसमें शिक्षकीय और गैरशिक्षकीय दोनों ही शामिल थे। इन 49 स्कूलों में करीबन हजार लोग बेरोजगार हो गए। विभाग के अनुसार कई बड़े निजी स्कूलों ने भी इस वर्ष फीस इसलिए बढ़ाई कि वे अपने कर्मचारियों और शिक्षकों को वेतन भी नहीं दे पा रहे हैं।

दुर्ग ब्लॉक में सबसे ज्यादा स्कूल
तीन वर्ष में बंद हुए निजी स्कूलों में सबसे ज्यादा दुर्ग ब्लॉक के हैं। इसमें भी प्राइमरी और मीडिल स्कूलों की संख्या ज्यादा है। विभाग के अनुसार अकेले दुर्ग ब्लॉक में ही 38 स्कूल बंद हो गए। जबकि पाटन में 7 और धमधा में 4 स्कूल बंद हो गए। दुर्ग डीईओ प्रवास सिंह बघेल ने बताया कि कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन के बाद कई छोटे निजी स्कूलों के संचालकों ने स्कूल बंद कर मान्यता खत्म करने आवेदन दिया था। जिसके बाद उनकी मान्यता खत्म की गई है। लेकिन इससे पहले इन स्कूलों में पढऩे वाले आरटीई के बच्चों को दूसरे स्कूलों में शिफ्ट कर दिया गया है, ताकि उनकी पढ़ाई में व्यावधान न आए।



Source: Education