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युवक की हत्या के बाद जमकर बरपा हंगामा, कार्तिक मेला निरस्त

परिजन-हिंदूवादी कार्यकर्ता बोले- झूले वालों ने बहन-बेटियों से की छेड़छाड़, हिन्दूवादी कार्यकर्ताओं ने झूले में की तोडफ़ोड़
बड़ा सवाल… पुलिस सुरक्षा नहीं कर पाई या निगम की लापरवाही की भेंट चढ़ गया पांरपरिक मेला

उज्जैन. आगर के युवक की मंगलवार रात को हत्या के बाद बुधवार सुबह हिन्दूवादी नेता और युवक के परिजन शव लेकर कार्तिक मेला ग्राउण्ड स्थित घटना स्थल पहुंच गए। यहां शव रख लोगों ने झूला संचालक आरिफ निवासी हेलावाड़ी को जवाबदार और आरोपियों का रिश्तेदार होने के नाते आरोपी बनाने की मांग कर कहा कि एक एक बदमाश को चिह्नित कर इनके मकान तोड़ों नहीं तो कार्तिक मेला बंद करो। झूले वाले हमारी बहन-बेटियों के साथ छेड़छाड़ करते हैं, इसे लेकर अकसर विवाद सामने आए हैं। कुछ दिन पहले भी इस तरह की शिकायत पहुंची थी और हिन्दूवादी नेताओं ने पुलिस को सूचना भी दी थी। इसके बाद भी मेले में सुरक्षा नहीं बढ़ाई गई। आखिर सुबह ११ बजे से दोपहर १ बजे तक चले हंगामे और जिस झूले में विवाद हुआ था, उसमें तोड$फोड़ के बाद पारंपरिक कार्तिक मेले के समापन के आदेश दोपहर ३ बजे प्रशासन ने दे दिए। वहीं इस हत्याकाण्ड में एक नाबालिग मुख्य आरोपी निकला, जिसने दीपू के सीने में चाकू मारा था। हत्या में ६ आरोपी फिलहाल सामने आए हैं। इनमें से पांच को गिरफ्तार किया, जबकि एक आरोपी फरार है। यह सभी आरोपी हेलावाड़ी के रहने वाले हैं और झूला संचालक से जुड़े हैं। इसके अलावा इस पूरे घटनाक्रम के सीसीटीवी भी पुलिस को कार्तिक मेला ग्राउण्ड से मिले हैं परंतु सीएसपी ओपी मिश्रा के अनुसार जो फुटेज मिले हैं उनमें अंधेरा होने से साफ नहीं दिखाई दे रहा है।
नाबालिग हत्या का मुख्य आरोपी
पुलिस के अनुसार इस हत्याकाण्ड का मुख्य आरोपी हेलावाड़ी का रहने वाला १६ साल का नाबालिग है, उसने टीपू पिता इकबाल, शाहरुख व तीन अन्य के साथ मिलकर दीपू पिता लखन जादम निवासी मास्टर कॉलोनी आगर की हत्या की थी। इस हत्याकाण्ड के पीछे पुलिस झूले में बैठने को लेकर विवाद बता रही है, जबकि उसके रिश्तेदार संतोष और सुरेश सोनगरा का कहना है कि दीपू दो दिन पहले जूना सोमवारिया में रहने वाली मौसी के यहां आया था। यहीं से वह मौसी के बेटे आशीष व परिवार की युवतियों के साथ मेला देखने पहुंचा था। आशीष ने बताया कि आरोपी बहन के साथ छेड़छाड़ कर रहे थे इसी को लेकर विवाद हुआ। इस पूरे मामले को लेकर पुलिस सीसीटीवी फुटेज जुटा रही है।
परिजन का आरोप
पुलिस ने न शिकायत पर ध्यान दिया, न की मदद, थाने पहुंचे तो हमें ही पकड़ लिया
कार्तिक मेला ग्राउण्ड में हंगामे के बीच दीपू के रिश्तेदार संजू व अन्य ने आरोप लगाए कि पुलिस ने हमारी मदद नहीं की। कार्तिक मेला स्थित चौकी पर शिकायत की थी, परंतु पुलिस ने ध्यान नहीं दिया। बाद में पुलिस ने मुझे ही थाने बैठा लिया, जबकि सीएसपी ओपी मिश्रा का कहना है कि सूचना पर थाने के एसआइ अनिल ठाकुर तत्काल मौके पर पहुंच गए थे, यहां पता चला कि दीपू के रिश्तेदार खुद झगड़ा निपटाने पहुंच गए थे जबकि पहले पुलिस को सूचना देना थी। अगर पीडि़त के परिजन पुलिस को विवाद की सूचना दे देते तो हत्या नहीं होती।
पुलिस का जवाब
एएसपी अभिषेक आंनद ने कहा पुलिस ने कार्तिक मेला ग्राउंड में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था कर रखी थी। इसके लिए एक अलग से चौकी भी निर्धारित की है। जहां रोजनामचा अपडेट किया जा रहा है, नगर निगम को भी अतिरिक्त सुरक्षा इंतजाम और सीसीटीवी के लिए पुलिस विभाग ने लिखा था। घटना के कुछ देर बाद ही महाकाल थाने के एसआइ मौके पर पहुंच गए थे, जो युवक को अस्पताल लेकर पहुंचे। हालांकि यह भी जानकारी लगी है कि युवक ने अपने रिश्तेदारों को फोन कर घटनास्थल पर बुलाया था। संजू नामक युवक ल_ लेकर कुछ युवकों के साथ विवाद निपटाने पहुंच गया था, परंतु उसने पुलिस को सूचना नहीं दी। जिसे पुलिस ने पकड़ा भी था।
कार्तिक मेले में पहले भी हो चुकी है हत्या
कार्तिक मेले में चार साल पूर्व सदावल रोड पर भी भैरवगढ़ गांव के विनायका के रहने वाले जीवन पिता जगदीश की हत्या हो चुकी है। आरोपियों ने रुपए के लेनदेन को लेकर उस पर चाकू से हमला कर दिया था।
खून के दाग से मेले का समापन
चोरी-गुंडागर्दी की वारदातें होती रहीं और नगर निगम मोटे राजस्व पर पीठ थपथपाता रहा!
उज्जैन. कार्तिक मेले का आयोजक नगर निगम पहले से आखिरी दिन तक मेले में सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने में फेल रहा। टेंडर प्रक्रिया से लाखों का राजस्व वसूलने पर जिम्मेदार खूब खुश हुए लेकिन समाजकंटकों के मन में खौफ पैदा नहीं कर पाए। इधर निगम के पत्र के बावजूद पुलिस ने भी मेले के दौरान समाजकंटकों पर सख्ती नहीं रखी। इसी का नतीजा रहा कि शिप्रा के पावन तट पर लगने वाले पारंपरिक मेले का अंत खून के दाग से हुआ है।
नगर निगम ने इस बार मेले में सुरक्षा व्यवस्था के लिए बड़े-बड़े दावे किए थे। सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के साथ ही बड़ी संख्या में सीसीटीवी कैमरे लगाने की बात कही गई। इस पर बड़ी राशि भी खर्च हुई बावजूद मेले के दौरान व्यापारी और यहां आने वालों सुरक्षित माहौल नहीं मिला। शुरुआत से ही मेला अव्यवस्थाओं से घिरा रहा और व्यवस्था बनाने के लिए जिम्मेदार मेला संबंधित अधिकारी सिर्फ मंच पर फोटो ङ्क्षखचवाते रहे। बड़े दावे करने वाले यह अधिकारी न व्यापारी-आगंतुकों को सुरक्षित माहौल दिला पाए और नहीं दुकानों की कालाबाजारी करने वालों पर कार्रवाई कर सके। इधर कंट्रोल रूम, पुलिस चौकी होने के बावजूद मेले में आया परिवार शिकार हुआ और एक युवक की हत्या हो गई।
निगम ने मांगी थी सुरक्षा व्यवस्था
आयोजन से पूर्व ही निगमायुक्त की ओर से एसपी को सुरक्षा के जरूरी इंतजाम करने के लिए एसपी को पत्र भेजा जा चुका था। इसके बाद १० नवंबर को भी निगम अपर आयुक्त आदित्य नागर ने एएसपी को अत्यावश्यक पत्र भेज अस्थायी कैंप, सुरक्षा व्यवस्था आदि की मांग की थी।
अव्यवस्थित मेले के जिम्मेदार पर हो कार्रवाई
बाहर से आए युवक की हत्या ने मेले पर बड़ा दाग लगा दिया है। नगर निगम ने आयोजन के लिए लंबी सूची तैयार कर जिम्मेदारियां बांटी थीं। लगातार अव्यवस्था उजागर होने के बावजूद किसी जिम्मेदार अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। बता दें कि इससे पूर्व स्मार्ट स्विङ्क्षमग पूल में एक युवक के डूबने से मौत के मामले में भी किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।
निगम का मेला, प्रशासन ने क्यों निरस्त किया?
मेले का आयोजन नगर निगम द्वारा किया गया था। मंगलवार रात को हुई हत्या के बाद से दोपहर तक निगम द्वारा मामले में कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई और नहीं कोई निर्णय लिया गया। यहां तक कि कुछ जिम्मेदार तो मौके पर भी नहीं पहुंचे। इधर, सुबह से तनाव की स्थिति बनी जिसका सामना पुलिस-प्रशासन को करना पड़ा। दोपहर में एडीएम संतोष टैगोर ने मेला निरस्त करने की बात कही।
व्यापारियों का प्रदर्शन
सोमवार को मेले की अवधि १३ दिसंबर की गई थी। बुधवार को मेला निरस्त होने पर व्यापारियों ने विरोध जताया। पहले मेला ग्राउंड और फिर निगम मुख्यालय प्रदर्शन किया। कुछ लोगों ने अर्धनग्न होकर विरोध किया। व्यापारियों का कहना था कि मेला देरी से लगा था इसलिए उन्हें अतिरिक्त समय दिया जाना चाहिए। घटना की सजा सभी को दी जा रही है जो अनुचित है।
बढ़ते गए सवाल… हत्या तक पहुंचे
1. भूखंडों की कालाबाजारी, अतिक्रमण को लेकर समाजकंटक सक्रिय थे तो शुरुआत में ही इन पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
2. झूले लगाने को लेकर विवाद हुए, उसी समय सख्त कदम क्यों नहीं उठाए गए।
3.बाहरी व्यापारियों को धमकाने के मामले आए, कार्रवाई की जगह निगम अधिकारी क्यों जिम्मेदारी से बचते रहे। संबंधितों पर एफआइआर क्यों नहीं करवाई।
4. मेले में लगातार मोबाइल चोरी, सामान चोरी, अतिक्रमण, छेड़छाड़ की शिकायत मिल रही थीं तो पुलिस सुरक्षा बढ़ाने के सफल प्रयास क्यों नहीं किए।
इसलिए शुरुआत से मेला हुआ ‘मैलाÓ
निगम ने टेंडर से दुकान-झूले आवंटन का निर्णय लिया। निजी हित प्रभावित हुए तो कुछ ने माहौल बिगाड़ा। इन पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई।
मेले का माहौल बिगाडऩे, अतिक्रमण में निगम के ही कुछ कर्मचारी-जनप्रतिनिधि की भूमिका के आरोप लगे। इन्हें चिह्नित कर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
खाली प्लॉट पर अतिक्रमण कर दुकानें लगी। इन्हें हटाने में ढिलाई।
वरिष्ठ अधिकारियों के दौरों में दिए निर्देशों को शत-प्रतिशत पालन नहीं किया गया।
निगम ने झूला राजसात किया
हत्या के बाद नगर निगम हरकत में आया है। बुधवार शाम महापौर मुकेश टटवाल ने एमआइसी सदस्य व अधिकारियों के साथ बैठक कर कार्रवाई का निर्णय लिया। सहायक आयुक्त नीता जैन ने बताया कि जिस झूला संचालक के झूले में विवाद हुआ था, उससे नगर निगम को 3 लाख 97 हजार रुपए वसूलना है। इसके लिए झूले जब्त कर राजसात की कार्रवाई की जा रही है। साथ ही झूला सेक्टर की लाइट बंद की जा रही है। संबंधित झूला संचालक को भविष्य के लिए ब्लैक लिस्टेड किया जा रहा है।
समय-समय पर पुलिस की दी थी सूचना
घटना बेहद दु:खद और ङ्क्षनदनीय है। सुरक्षा व्यवस्था के लिए पहली बार सीसीटीवी कैमरे लगाए थे। इसी के परिणाम स्वरूप चोरी हुए २४ मोबाइल मिले। समाजकंटकों पर कार्रवाई के लिए पुलिस को समय-समय पर सूचित किया था। – मुकेश टटवाल, महापौर



Source: Education