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अब वीरांगनाओं ने कहा सिर्फ शहीद आश्रितों को ही मिले नौकरी

देवर को नौकरी सहित विभिन्न मांगों को लेकर चल रहे तीन वीरांगनाओं के आंदोलन के बीच शनिवार को राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से करीब 25 वीरांगनाएं मुख्यमंत्री से मिलीं। अपने बच्चों के साथ पहुंचीं इन वीरांगनाओं ने शहीद आश्रितों को ही नौकरी देने के नियम की पैरवी की। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीरांगनाओं से कहा कि शहीदों के आश्रितों को नियमानुसार राजकीय सेवा में नियोजित किया जाता है।

शहीदों के आश्रितों के साथ किसी तरह का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। करगिल पैकेज के तहत शहीद के परिवार के लिए 25 लाख, 25 बीघा जमीन, हाउसिंग बोर्ड से आवास व आवास न लेने पर अतिरिक्त 25 लाख, वीरांगनाओं या उनके बच्चों के लिए नौकरी एवं गर्भवती वीरांगनाओं के बच्चों के लिए नौकरी सुरक्षित करने का प्रावधान है।

शहीद के माता-पिता के लिए 5 लाख रुपए की एफडी करवाने, शहीदों की प्रतिमा लगाने तथा किसी एक सार्वजनिक स्थल का शहीद के नाम से नामकरण करने के प्रावधान भी हैं। उन्होंने कहा कि वीरांगनाओं या बच्चों के अलावा परिवार के किसी अन्य सदस्य को नौकरी देने का प्रावधान नियमों में नहीं है। यह मांग सही नहीं है, इससे भविष्य में वीरांगनाओं को अनुचित पारिवारिक एवं सामाजिक दबाव झेलना पड़ सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनसे मिलने वाली वीरांगनाओं ने भी कहा कि नौकरी केवल शहीद की वीरांगना या बच्चों को ही दी जानी चाहिए।

शहीद हवलदार रमेश कुमार डागर की पत्नी कुसुम डागर ने कहा कि देवर को नौकरी देने की मांग नियमानुसार नहीं है। अनुचित मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन से सभी वीरांगनाओं की छवि प्रभावित होती है। शहीद हवलदार श्याम सुन्दर जाट की पत्नी कृष्णा ने कहा कि सरकारी नौकरी का अधिकार केवल शहीद के बच्चों को है। वीरांगनाओं की ओर से देवर, जेठ या अन्य पारिवारिक सदस्यों को नौकरी दिलाने को आंदोलन करना गलत है।

शहीद लांस नायक मदन सिंह की पत्नी प्रियंका कंवर एवं शहीद हवलदार होशियार सिंह की पत्नी नमिता ने भी वीरांगना एवं बच्चों के स्थान पर अन्य रिश्तेदारों को नौकरी दिलाने के लिए धरना प्रदर्शन को गलत एवं नियम विरुद्ध बताया।

संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति ठीक नहीं

मुख्यमंत्री इस संवेदनशील मुद्दे पर जो राजनीति कर रहे हैं वह ठीक नहीं है। एक तरफ वीरांगानाएं उनसे मिलने की गुहार करती हैं तो पुलिस जबरन उठा लेती है और उनके समर्थन में खड़े सांसद किरोड़ीलाल मीणा से अभद्र आचरण करती है, दूसरी तरफ खुद अन्य वीरांगनाओं से मिलते हैं।

राजेंद्र राठौड़, उपनेता प्रतिपक्ष

वीरांगना मंजू को किया अपह्रत

यह कैसी उलटबांसी है। दस दिन से सीएम के द्वार पर धरना दे रही वीरांगनाएं उन्हें दिखाई नहीं दे रहीं, जबकि अन्य वीरांगनाओं से मिल रहे हैं। ऐसी राजनीति कर उन्हें जरा भी लज्जा नहीं आती है। वीरांगना मंजू जाट को अपहृत कर छुपा रखा है। उनके साथ ऐसा बर्ताव क्यों हो रहा है?

डॉ. किरोड़ीलाल मीणा, राज्यसभा सांसद



Source: Education