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खुशखबरीः पांच राज्यों में बहाल हुई ओल्ड पेंशन स्कीम, अब इन राज्यों में तैयारी

भोपाल। राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के बाद अब मध्यप्रदेश में भी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की तैयारी चल रही है। इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सरकार भी इस पर बड़ा फैसला ले सकती है। क्योंकि हाल ही में हिमाचल प्रदेश में भाजपा की हार के पीछे एक बड़ा कारण ओल्ड पेंशन योजना को भी माना जा रहा है। यह पेंशन योजना भाजपा के लिए गले की फांस न बन जाए, इसके लिए भाजपा शासित राज्यों में भी अध्ययन किया जाने लगा है। वहीं मोदी सरकार के मंत्री भी कह चुके हैं कि इन योजनाओं पर विचार जरूर किया जाएगा।

 

मध्यप्रदेश के साढ़े चार लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए यह अच्छी खबर आ रही है कि पुरानी पेंशन योजना को बहाल किए जाने की कवायद शुरू हो गई है। बीजेपी के बड़े नेताओं ने हाल ही में कर्मचारी नेताओं को आश्वासन भी दिया है। हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के पीछे ओल्ड पेंशन योजना को भी अहम कारण माना गया है। मध्यप्रदेश से पहले कर्नाटक में चुनाव होने हैं। कर्नाटक सरकार राजस्थान और छत्तीसगढ़ राज्यों में बहाल की गई पुरानी पेंशन योजना का बारीकी से अध्ययन कर रहा है। इस संबंध में टीमें भी भेजी गई हैं।

 

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भाजपा नेताओं ने हिमाचल प्रदेश में भाजपा की हार के पीछे जो कारण दिल्ली भेजे हैं, उसमें अहम कारण पुरानी पेंशन योजना को बहाल नहीं करना बताया गया है। इसे लेकर अब इस बात को पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं कि क्या पुरानी पेंशन के कारण भाजपा के वोट बैंक पर कोई असर पड़ेगा या नहीं।

 

बीजेपी भी है पक्ष में

राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक भाजपा शासित राज्य भी सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना पर काम करने का विचार कर रही हैं। कर्नाटक में तो भाजपा सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन कर दिया है। यह समिति जल्द ही राजस्थान जाकर कर ओपीएस की घोषणा कर सकती है।

 

नहीं तो बन जाएगा बड़ा मुद्दा

मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में विधानसभा होने हैं, जबकि इससे पहले ही कर्नाटक के चुनाव हो जाएंगे। इसलिए भाजपा सरकारों पर दबाव बढ़ गया है कि वे ओल्ड पेंशन योजना को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दें। यदि ऐसा होता है तो 14 माह बाद होने वालों आम चुनाव में पुरानी पेंशन योजना को लागू नहीं करने का असर मोदी सरकार पर पड़ सकता है।

 

मोदी सरकार के मंत्री ने भी दिया था आश्वासन

पिछले सप्ताह भोपाल आए केंद्रीय राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि ओल्ड पेंशन स्कीम पर वित्त मंत्रालय विचार करेगा। पेंशनर्स की सुविधा के लिए पोर्टल बनेगा, वहीं देश के सभी बैंक इससे जोड़े जाएंगे।

 

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कमलनाथ भी कर चुके हैं घोषणा

इधर, मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार को इसलिए भी टेंशन है कि मध्यप्रदेश में 8 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व सीएम कमलनाथ भी घोषणा कर चुके हैं। कमलनाथ ने हाल ही में कई बार यह बात दोहराई है कि हमारी सरकार बनती है तो हम पुरानी पेंशन स्कीम को लागू कर देंगे। इसके अलावा लाडली बहना योजना के जवाब में कमलनाथ यह भी ऐलान कर चुके हैं कि हम 1000 रुपए नहीं 1500 रुपए बहनों को देंगे। इसके अलावा कांग्रेस नेता जीतू पटवारी भी बेरोजगारों से परीक्षा में किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लेने की घोषणा कर चुके हैं।

 

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एक नजर

अलट बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 1 अप्रैल 2004 को पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को बंद करने का फैसला किया था। इसके बाद 2004 में पुरानी पेशन योजना के बदले राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension System) शुरू कर दी गई थी। जो कर्मचारी 22 दिसंबर 2003 के पहले निकली भर्ती के जरिए सरकारी नौकरी में शामिल हुए हैं, सिर्फ उन्हें ही पुरानी पेंशन का लाभ मिलेगा। पुरानी पेंशन योजना अटल बिहारी वाजपेयी के समय बंद कर दी गई थी। नई पेंशन स्कीम 22 दिसंबर 2003 के बाद ज्वाइन होने वालों को मिलेगी।

नई पेंशन में क्या है खास

साल 2004 में सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन योजना शुरू की थी। एनपीएस सरकारी कर्मचारियों को निवेश की मंजूरी देता है। सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन राशि का एक हिस्सा एकमुश्त निकालने की छूट है। बाकी रकम के लिए एन्युटी प्लान खरीद सकते हैं। एन्युटी एक तरह का इंश्योरेंस प्रोडक्ट है। इसमें एकमुश्त निवेश किया जाता है। इसे मंथली, क्वाटरली या सालाना विड्राल किया जा सकता है। कर्मचारी की मृत्यु होने तक उसे नियमित आमदनी मिलती है। मृत्यु के बाद पूरा पैसा नामिनी को मिलता है। नई पेंशन स्कीम में कर्मचारियों को बहुत कम फायदे मिलते हैं। उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है। सेवानिवृत्त होने के बाद भी जो पैसा उन्हें मिलेगा, उस पर टैक्स भी देना पड़ेगा।

 

 

 

 

पुरानी पेंशन योजना और नई पेंशन योजना में 10 प्रमुख अंतर














Old Pension scheme (OPS)

National Pension System (NPS)

  • पेंशन के लिए वेतन से कटौती नहीं होती।

  • कर्मचारी के वेतन से 10 प्रतिशत कटौती होती है।

  • जीपीएफ की सुविधा है।

  • जीपीएफ की सुविधा नहीं है।

  • इसका भुगतान सरकार की ट्रेजरी के जरिए होता है।

  • शेयर बाजार आधारित है, बाजार की चाल पर भुगतान होता है।

  • अंतिम बेसिक सैलरी के 50 प्रतिशत तक निश्चित पेंशन

  • रिटायरमेंट के बाद पेंशन की कोई गारंटी नहीं

  • 6 माह के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता लागू होता है।

  • महंगाई भत्ता लागू नहीं होता है।

  • 20 लाख रुपए तक ग्रेच्युटी मिलती है।

  • ग्रेच्युटी का अस्थाई प्रावधान है।

  • फैमिली पेंशन का प्रावधान

  • फैमिली पेंशन मिलती है, लेकिन जमा पैसा सरकार जब्त कर लेती है।

  • जीबीएफ के ब्याज पर इनकम टैक्स नहीं लगता

  • शेयर बाजार के आधार पर जो पैसा मिलेगा, उस पर टैक्स देना पड़ेगा।

  • पेंशन प्राप्ति के लिए जीपीएफ से कोई निवेश नहीं करना पड़ता।

  • एनपीएस फंड से 40 फीसदी पैसा इन्वेस्ट करना होगा।

  • 40 फीसदी पेंशन कम्यूटेशन का प्रावधान।

  • यह प्रावधान नहीं है, लेकिन एनपीएस में स्पष्ट प्रावधान नहीं।

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Source: Education