निसंतान दंपतियों के लिए वरदान है IFV, विस्तार से जानिए इस नई वैज्ञानिक तकनीक के बारे में
बिलासपुर. हर साल 25 जुलाई को विश्व भर में वर्ल्ड एंब्रियोलॉजिस्ट डे यानी विश्व भ्रूण विज्ञानी दिवस सेलिब्रेट किया जाता है। ऐसा करने का मुख्य कारण है उन डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को सम्मान देना, जिनकी सहायता से बच्चे की आशा खो चुके माता-पिता भी स्वस्थ बच्चे का सपना साकार कर रहे हैं।
कई कपल्स ऐसे होते है जो आईवीएफ को लेकर सोशली इन्सेक्युर होते है। जब इंसान के ह्रदय, किडनी या लिवर की समस्या होती है तब वह इसका खुल कर इलाज करते है। इनफर्टिलिटी होना भी एक सामान्य बात है। इसमें शर्म करने जैसे कुछ नहीं है। अगर शादी के साल भर बाद भी आप या आपकी पार्टनर कन्सीव नहीं कर पा रहे है तो तो आपको प्रीकॉस्नरी जांच तो करनी ही चाहिए। इसे आम बीमारी की ही तरह स्वीकार करने की जरुरत है। डॉक्टर से परामर्श लेने से संकोच न करे।
डॉ.ओम मखीजा, बाल रोग विशेषज्ञ
बिलासपुर के कपल्स ने भी आईवीएफ को खुल कर अपनाया है। आज ऐसे हजारों माता-पिता हर साल आईवीएफ के जरिये अपनी पहली संतान का सुख प्राप्त रहे हैं। कहने को यह प्रक्रिया जटिल है जिसमे एक आईवीएफ साइकिल को कम्पलीट करने में 15 दिन तक लग जाते हैं और इस प्रक्रिया में डेढ़ लाख रुपए तक खर्च हो जाते हैं। लेकिन यह प्रक्रिया उन लोगों के लिए वरदान है, जो कई सालों से गर्भधारण की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सफल नहीं हो पा रहे हैं।
आईवीएफ का महत्त्व सिर्फ महिलाए ही नहीं पुरुष भी समझ रहे हैं और संतान प्राप्ति के लिए इसे अपना भी रहे हैं। आईवीएफ तकनीक से जन्म लेने वाली संतानों को ‘टेस्ट ट्यूब बेबी’ भी कहा जाता है। इनफर्टिलिटी के चलते कुछ कपल्स को माता-पिता बनने का सुख पाने से चूक जाते हैं। आईवीएफ से महिलाओं के शरीर से अंडाणु को निकाल कर लैब में इसका मिलन पुरुष के शुक्राणुओं से कराया जाता है। जब इसके संयोजन से भ्रूण बन जाता है, तब उसे वापस महिला के गर्भ में रख दिया जाता है।
विश्व एंब्रियोलॉजिस्ट डे का इतिहास…
ऐसा ही एक चमत्कार साल 1978 ईस्वी में हुआ था। आई.वी.एफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) तकनीक के प्रयोग से दुनिया की पहली बच्ची ने जन्म लिया जिसका नाम लुइस जॉय ब्राउन था। ये घटना 25 जुलाई को हुई थी, जो संपूर्ण मानव जाति के इतिहास की एक असाधारण घटना थी। इसीलिए पहली टेस्ट ट्यूब बेबी ‘लुइस ब्राउन’ के जन्म दिन को ही वर्ल्ड एर्म्ब्योलॉजिस्ट डे के तौर पर मनाया जाता है।
शहर के जाने माने आईवीएफ स्पेशलिस्ट ओम मखीजा बताते हैं कि लोगों में आईवीआएफ के प्रति एक्सेप्टेंस बड़ा है। हर साल बिलासपुर के सैकड़ों ऐसे कपल्स सामने आते हैं जिन्होंने माता-पिता बनने की उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन अस्पताल पहुंचने के बाद उन्हें उम्मीद की किरण दिखी। बीते सालों में जिले के हजारों कपल्स संतान प्राप्ति का सुख भोग रहे है।
Source: Education