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धान के सवाल पर छत्तीसगढ़ में फिर तेज हुई राजनीति

रायपुर. धान के सवाल पर छत्तीसगढ़ की एक बार फिर गरमा गई है। केंद्र सरकार ने गुरुवार को 24 लाख मीट्रिक टन चावल लेना स्वीकार कर लिया। इस सलाह के साथ कि राज्य सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य के अतिरिक्त कोई बोनस नहीं देगी अथवा कोई घोषणा नहीं करेगी। कांग्रेस को चावल खरीदने के साथ सलाह के तौर पर जुड़ी शर्त से आपत्ति है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को कहा, हमने 32 लाख मीट्रिक टन चावल लेने की मांग की थी। केंद्र सरकार केवल 24 लाख मीट्रिक टन लेने को तैयार हुई है। बाकी का चावल भी लेने के लिए केंद्र सरकार को फिर से पत्र लिखा जाएगा। बातचीत जारी रहेगी। मुख्यमंत्री ने कहा, इस निर्णय तक पहुंचने में देरी दुर्भाग्यजनक है। सरकार को जल्द निर्णय लेना था। वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने भी कहा, राज्य सरकार पूरा 32 लाख टन चावल लेने के लिए दबाव बनाए रखेगी।

प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने शुक्रवार को कहा, मुख्यमंत्री ने 32 लाख टन चावल लेने का अनुरोध किया था, मोदी सरकार ने 24 लाख टन चावल लेना ही स्वीकार किया है। उसमें भी यह शर्त रख दी है कि यह चावल तभी लेगी जब राज्य सरकार किसानों को धान पर समर्थन मूल्य के अलावा किसी भी प्रकार के बोनस का भुगतान नहीं करेगी।

शुक्ला नें कहा, मोदी सरकार द्वारा भेजा गया यह पत्र इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि भाजपा किसी भी हालत में किसानों का फायदा नहीं होने देना चाहती। छत्तीसगढ़ के किसानों को धान पर 1815 रुपया प्रति क्विंटल की जगह 2500 रुपया प्रति क्विंटल मिल जायेगा तो इसमें भाजपा को क्यों ऐतराज है? शर्तों के सामने आने के बाद वामपंथी संगठन भी केंद्र सरकार के खिलाफ हो गए हैं।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा, इस शर्त के साथ ही भाजपा सरकार का किसान विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है। दोनों नेताओं ने कहा, किसी फसल पर बोनस की घोषणा राज्य सरकार का अधिकार है। केंद्र सरकार की यह शर्त राज्य के अधिकार का हनन है और किसानों के साथ भेदभाव भी। किसान सभा ने 32 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त चावल को केंद्रीय पूल में लेकर राशन दुकानों में करने की मांग की है।

8 जनवरी को गांव बंद आंदोलन
छत्तीसगढ़ किसान सभा ने केंद्र सरकार की शर्तों के विरोध में गांव बंद आंदोलन की घोषणा की है। इसके तहत सभा 8 जनवरी को प्रदेश के गांवों को बंद कराकर अपना विरोध दर्ज कराएगी। किसान सभा के नेताओं ने कहा, केंद्र सरकार अगर फसलों का लाभकारी समर्थन मूल्य घोषित करती तो राज्यों को बोनस देना ही नहीं पड़ता।

सरकार के वादे पर अडंगे की भी आशंका
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विधानसभा सहित कई मंचों से किसानों को हर हाल में 2500 रुपया देने का वादा कर रहे हैं। किसान संगठनों को आशंका है कि केंद्र सरकार इन शर्तों के आधार पर चावल लेने और भुगतान करने में अड़ंगा लगा सकती है। हालांकि आवास, पर्यावरण एवं वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने शुक्रवार को कहा, राज्य सरकार धान की खरीदी केंद्र सरकार के एजेंट के तौर पर करती है। उनकी शर्तों के मुताबिक 1815 और 1835 रुपए प्रति क्विंटल पर खरीदी होगी। अंतर की राशि देने के लिए सरकार नई योजना ला रही है, उससे इस शर्त का उल्लंघन भी नहीं होगा।



Source: Education