छत्तीसगढ़ के इस गांव में एक परिवार की 4 पीढ़ी के 57 सदस्यों में आधे की दुनिया अंधेरी, एक की पत्नी भी छोड़ गई
बैकुंठपुर/बरबसपुर. कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ ब्लॉक स्थित ग्राम केराबहरा में वंशानुगत ग्लूकोमा (Glucoma) बीमारी के कारण एक परिवार के 57 सदस्यों की दुनिया धीरे-धीरे अंधेरी होने लगी है। पांचवी पीढ़ी भी युवा अवस्था के बाद गंभीर बीमारी से पीडि़त होगी, फिर आंखों की रौशनी जाने से दुनिया नहीं देख पाएगी।
परिवार के एक सदस्य की आंखों की रौशनी चले जाने से उसकी पत्नी छोड़कर चली गई। कोई इस परिवार के लिए रिश्ता लेकर नहीं आता है। 4 पीढ़ी से संघर्ष कर रहे इस परिवार की सुध लेने गांव में कोई सरकारी अमला नहीं पहुंचा। इसकी जानकारी जब स्वास्थ्य मंत्री (Health Minister TS Singhdeo) को हुई तो उन्होंने कहा कि सभी का सरकारी खर्च पर इलाज कराएंगे।
कोरिया जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर ग्राम पंचायत केराबहरा है। यह पंचायत जनपद पंचायत मनेंद्रगढ़ में पड़ता है। यहां की जनसंख्या 1000 है। पंचायत के वार्ड क्रमांक-6 हरिजनपारा की जनसंख्या 57 है। उस मोहल्ले में एक ही परिवार के सदस्य छोटे-छोटे 14 परिवार में बंट गए हैं।
कुल 27 नाबालिग व 30 युवा व बुजुर्ग शामिल हैं। इस परिवार की एक पीढ़ी से चौथी पीढ़ी तक के सदस्य वंशानुगत बीमारी ग्लूकोमा से पीडि़त हैं और 5वीं पीढ़ी युवा अवस्था के बाद ग्लूकोमा से पीडि़त होने वाली है।
पत्रिका टीम से परिवार के बुजर्ग रो-रोकर बोले, बाबूजी हमारी उम्र निकल चुकी है, लेकिन हमारी नई पीढ़ी की आंखों की जांच व ऑपरेशन करवाने में मदद करिए। उनकी आंखों की रौशनी जाने के बाद दुनिया अंधेरी हो जाएगी।
हम बुजुर्गों की स्थिति ऐसी है कि हम रोजगार गारंटी (Rojgar Guarantee) में काम तक नहीं कर पाते हैं, क्योंकि हमारी आंखों की रौशनी चली गई है। ग्रामीणों ने बताया कि इतने साल में कोई उनकी सुध लेने नहीं आया है।
संतोष के आंखों की रौशनी जाने से पत्नी छोड़ गई
संतोष कुर्रे (30) ने बताया कि सिरदर्द होने के कारण डॉक्टर से चेकअप कराया हूं। पहले ठीक से दिखाई देता था, लेकिन दोंनों आंख का ऑपरेशन होने के बाद 10 फीट दूर तक ठीक से नहीं देख पाता हूं।
मेरी आंख की रौशन जाने से पत्नी मायके में रहने लगी है। वहीं किसी की शादी करने में बहुत परेशानी होती है क्योंकि आखों की रौशनी जाने की बात मालूम होने बाद कोई रिश्ता लेकर उनके परिवार में नहीं आता है।
परिवार की मुखिया कैरीबाई थी पीडि़त
दशकों पहले ग्रामीण बंटू व कैरीबाई का विवाह हुआ और दंपती के 6 बेटा व 4 बेटी हैं। माता कैरीबाई ग्लूकोमा से पीडि़त थीं। इससे पीढ़ी दर पीढ़ी वंशानुगत बीमारी से ग्रसित होने लगी है। वर्तमान में 3 ग्रामीण संतोष, जगतपाल, जमकुंवर के आंखों की रौशनी चली गई है। जबकि श्यामलाल, शोभाराम, कंतलिया, सुदिया की एक-एक आंख की रौशनी चली गई है।
इधर परिवार के बाकी सदस्य की उग्र 20 साल होने पर सिरदर्द सहित अन्य परेशानी होने लगती है। वहीं परिवार से विवाह (Marriage) होकर दूसरे गांव जाने वाली बेटियों की आंखों में भी शिकायतें मिल रही है। साथ ही दूसरे गांव से विवाह होकर आई महिला या जमाई को किसी प्रकार की परेशानी नहीं है। लेकिन उनके बच्चों को आंख की परेशानी हो रही है।
ये हैं 14 प्रभावित परिवार व सदस्य
– संतोष कुर्रे (30) पीडि़त -चार सदस्य
– जमकुंवर (45) पीडि़त -दो सदस्य
– जगतपाल (35) पीडि़त -पांच सदस्य
-छोटेलाल (32) पीडि़त -दो सदस्य
– सुरेश कुमार (28)लक्षण -पांच सदस्य
– चंदिया (22) लक्षण -पांच सदस्य
– राजू (20) लक्षण -चार सदस्य
– श्यामलाल (28) पीडित -पांच सदस्य
– शोभाराम (55) पीडि़त -दो सदस्य
– गंभीर साय (50)पीडि़त -छह सदस्य
– डूकेराम (40) लक्षण -आठ सदस्य
– कंतलिया (36) पीडि़त -तीन सदस्य
– सुदिया (40) पीडि़त -चार सदस्य
– नर्बदिया (58) लक्षण -दो सदस्य
टीम गई थी गांव, सरकारी खर्च पर कराया जाएगा इलाज
नेत्र व कुष्ठ विशेषज्ञ की टीम ग्राम केराबहरा गई थी। एक-एक ग्रामीण का सर्वे व चेकअप कराया गया है। नेत्र विशेषज्ञ की टीम उनका इलाज करेगी और लांगटाइम तक नि:शुल्क दवाइयां चलाएंगे। जिनको ऑपरेशन कराने की जरूरत होगी, रायपुर में सरकारी खर्च पर ऑपरेशन कराया जाएगा।
डॉ. रामेश्वर शर्मा, सीएमएचओ कोरिया
सारी मेडिकल सुविधाएं देंगे
उस गांव की जानकारी मुझसे साझा करें। तत्काल मेडिकल टीम (Medical Team) भेजी जाएगी। पीडि़त ग्रामीणों की नि:शुल्क जांच होगी और उपचार कराया जाएगा। कोरिया से लेकर रायपुर तक मेडिकल की सारी सुविधाएं दी जाएगी।
टीएस सिंहदेव, मंत्री स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण छत्तीसगढ़
Source: Education